Basant Panchami in Hindi 2020 | बसंत पंचमी की कहानी |
Basant Panchami in Hindi 2020 – हम आपके लिए आज Basant Panchami ki Kahani साथ ही वसंत पंचमी से जुडी रोचक जानकारी लेकर उपस्थित हैं। बसंत पंचमी को सरवती पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं क्युकी यह उत्सव विद्या की देवी कला की देवी हंसवाहिनी माता सरस्वती को समर्पित हैं. बसंत पंचमी भी अन्य त्यौहारों जैसा एक प्रमुख त्यौहार हैं. Basant Panchami in Hindi 2020. Basant Panchami ki Kahani
मकर संक्रांति के बाद पड़ने वाले Basant Panchami 2020 से जुड़े सभी जानकारी जैसे शुभ-मुहूर्त, पुण्य काल, पूजा-विधि, मन्त्र जाप, पर्व का इतिहास, वसंत पंचमी से जुडी पौराणिक कहानियाँ तथा इस पर्व के साथ ही प्रकृति में आने वाले अद्भुत मनमोहक बदलाव की चर्चा भी इस पोस्ट में आप सभी को पढ़ने के लिए मिल जाएगी. तो About Basant Panchami in Hindi और Basant Panchami ki Kahani के लिए बने रहिये हमारे साथ.
भारत में हिन्दू समुदाय द्वारा मनाये जाने वाले किसी भी परंपरा या पर्व के पीछे प्रायः कोई न कोई प्रेरक कहानी या पौराणिक कहानी जरूर होती हैं. ये कहानियाँ समाज निर्माण का कार्य करती हैं. महाभारत जैसे महान ग्रन्थ के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी ने संस्कारो, धर्म और संस्कृति को कहानियों के रूप में और अति प्राचीन इतिहास के रूप में 18 पुराणों में पूरी विस्तार से वर्णन किया हैं. पुराणों की कहानियों का प्रचार-प्रसार समाज को सही मार्ग पर ले जाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं. Basant Panchami in Hindi 2020
About Basant Panchami in Hindi 2020 के पीछे की कहानी भी इन्ही कहानियों जैसी शिक्षाप्रद और उपयोगी हैं. तो आइये आपका बिना समय नष्ट किये हम Basant Panchami Saraswati Puja के पीछे की कहानी को पढ़ने का कार्य करते हैं.
Basant Panchami प्रतिवर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ पुरे भारत, पश्च्मोत्तर बांग्लादेश तथा सम्पूर्ण नेपाल में बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता हैं। इस वर्ष About Basant Panchami in Hindi 2020 में 29 जनवरी को मनाया जायेगा.
इस दिन को माता सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। पुराणों में कहानी आती हैं की जब ब्रह्मा जी सृष्टि का निर्माण कार्य कर रहे थे उन्होंने भगवान् विष्णु की आज्ञा से अपने कमंडल से जल अपने हाथ में लेकर उसे पृथ्वी पर छिड़का जब जल की बुँदे पृथ्वी पर पड़ी तो पृथ्वी में कम्पन होने लगी और तभी एक चतुर्भुजी देवी का अवतार हुआ जिनके एक हाथ में वेद दूसरे हाथ में माला था बाकि के दोनों हाथों में वीणा सुशोभित हैं।
उस देवी का तेज कोटि सूर्य के समान था। इन्होने जब अपने विणा को बजाया तो एक बार फिर पुरे वातावरण में कम्पन होने लगी और तभी से सर्वप्रथम ध्वनि, आवाज या वाणी का आरम्भ हुआ। वीणा धारण करने की वजह से इनको वीणावादिनी भी कहा गया हैं. विद्या और वेदो की देवी होने के कारण इन्हें माँ सरस्वती भी कहते हैं।
बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा को आंध्रप्रदेश राज्य में पारम्परिक रूप से बच्चों के विद्याराम्भ पर्व के रूप में मनाया जाता हैं इसी दिन से छोटे-छोटे बच्चो को उनकी उँगलियाँ पकड़ के उन्हें पहला अक्षर या प्रथमाक्षर लिखना सिखाया जाता हैं। बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में यहाँ के प्रसिद्द बासर सरस्वती मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किये जाते हैं। देश के अनेक भाग में इस शुभ अवसर पर बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का श्री गणेश करने की परम्परा का पालन किया जाता हैं।
वसंत पंचमी के दिन से ही होली की औपचारिक शुरुआत हो जाती हैं. होली की तरह ही वसंत पंचमी के मौके पर लोग एक दूसरे को गुलाल-अबीर लगाकर आने वाले महापर्व होली की तैयारी शुरू कर देते हैं. वसंत पंचमी के दिन से ही लोग एक सार्वजनिक स्थान पर होलिका दहन जोकि होली से एक दिन पहले मनाई जाती हैं उसके लिए लकड़ियाँ इकट्ठी करना प्रारम्भ कर देते हैं.
Basant Panchami Ki Kahani |
भारतीय उपमहाद्वीप में वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर पतंगबाजी का भी परम्परा रहा हैं. मुख्य रूप से पकिस्तान लाहौर में आज वसंत पंचमी के नाम पर सिर्फ पतंगबाजी ही रह गया हैं। कभी 50 % हिन्दू आबादी वाला लाहौर या लवपुर आज हिन्दू विहीन हो चूका हैं. वहाँ न तो माँ सरस्वती की पूजा होती हैं और ना ही वीर हकीकत राय को याद किया जाता हैं.
वसंत पंचमी के दिन पतंगबाजी के परम्परा के पीछे एक बहुत ही मार्मिक घटना जुडी हुई हैं. मुग़ल काल के समय एक विद्यालय में जिसमे अधिकत्तर मुस्लिम छात्र पढ़ते थे उसमे छोटा हिन्दू पुत्र हकीकत राय भी पढ़ते थे अपने अल्पायु में ही वे माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना किया करते थे. एक बार विद्यालय में मुस्लिम छात्रों ने उनके सामने माँ दुर्गा का मजाक उड़ाने लगे तो वीर हकीकत राय ने कहाँ की मैं भी तुम्हारे बीबी फातिमा के बारे में ऐसा बोलू तो तुम्हे कैसा लगेगा।
बस इतनी सी बात पर उसको बढ़ा चढ़ा के बच्चो ने इसकी शिकायत उस विद्यालय के मौलवी के पास की बात धीरे-धीरे आगे बढ़ी वहाँ के काजी के पास बात पहुँची काजी ने आदेश दिया की या तो हकीकत अपना धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल करें नहीं तो उसके सर काट दिया जायेगा वीर हकीकत राय को इस्लाम कभी भी मंजूर नहीं था उन्होंने हिन्दू धर्म छोड़ने की जगह मृत्यु को स्वीकार किया।
कहा जाता हैं की जब जल्लाद राय की गर्दन काटने का आदेश मिला तो वीर हकीकत राय छोटी उम्र देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गया था. वीर हकीकत राय ने तलवार को उठाकर जल्लाद को दिया और बोला- “की जब मैं छोटा होकर भी अपने धर्म से नहीं हट रहा हूँ तुम बड़े होकर क्या सोच रहे हो?”
जल्लाद ने बड़े भारी मन से तलवार उठाया और हकीकत राय की गर्दन काट दिया कहा जाता हैं की वीर हकीकत राय का सर आकाशमार्ग से होते हुवे सीधे स्वर्ग लोक पहुँच गया था निचे पृथ्वी पर नहीं गिरा। वह जगह लाहौर और वह दिन वसंत पंचमी का ही था. और इसी घटना की याद में पतंग उड़ाने की परम्परा का शुरुआत हुआ. लाहौर में आज भी पतंग उड़ाई जाती हैं लेकिन हकीकत राय जैसे महान वीर को याद करने वाला कोई नहीं हैं.
त्रेतायुग के रामायण की वह घटना माता शबरी और प्रभु श्री राम से जुड़ी हुई हैं. रावण द्वारा माता सीता का हरण करने के बाद प्रभु श्री राम सीता की खोजते-खोजते दण्डकारय वन पहुँचे थे। आपको अंदेशा हो गया होगा की मैं किस घटना की चर्चा कर रहा हूँ. जी हाँ ! माता शबरी के जुठे बेर प्रभु श्री राम द्वारा आज के ही दिन यानी की वसंत पंचमी के दिन ही खाये गए थे। वसंत पंचमी का वह शुभ दिन ही था जिस दिन दण्डकारय वन में स्थित माता शबरी के आश्रम में प्रभु श्री राम का शुभ आगमन हुआ था और उन्होंने निश्छल भक्ति और असाधारण प्रेम को देख कर माता शबरी द्वारा मीठा बेर खिलाने की आशा में दिए गए जुठे बेर भी खूब आनंद से खाया।
दण्डकारय वन का वह क्षेत्र आज के समय में गुजरात और मध्यप्रदेश में फैला हुआ हैं. गुजरात के डांग जिले में वह स्थान हैं जहाँ माता शबरी का आश्रम था. वसंत-पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहाँ आये थे। उस क्षेत्र के वन वासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके पीछे उनका आश्था यह यहीं की प्रभु श्री राम इसी शिला पर बैठे थे. वहाँ पर माता शबरी का एक मंदिर भी हैं.
Basant Panchami ki Kahani में पौराणिक घटनाओ के साथ-साथ मुग़ल काल और अंग्रेजो के गुलामी समय में भी यह सरस्वती पूजा या वसंत पंचमी का पर्व हिन्दुओं को आपस में जोड़ने का कार्य सफलता पूर्वक किया। वसंत पंचमी से जुड़ी कुछ ऐतिहासिक घटनाओ पर अब हम प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं। वीर हकीकत राय के अलावा पृथ्वीराज चौहान से भी इस दिन का बहुत गहरा सम्बन्ध हैं.
वसंतपंचमी के दिन ही पृथ्वी राज चौहान ने शब्दभेदी बाण चला कर मुहम्मद गौरी का वध किया था. पृथ्वीराज चौहान ने 16 बार मुहम्मद गोरी को पराजित करके भी माफ़ कर दिया परन्तु 17वीं बार वो हार गए और गोरी ने उन्हें बंदक बना लिया और उनको अफगानिस्तान लेकर चला गया वहाँ उनकी दोनों आँखें फोड़ दी गईं.
मुहम्मद गोरी ने उन्हें मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण चलाने का कमाल देखना चाहता था बाद में चौहान ने चंदरबाई की कविता से दुरी का अंदाजा लगाकर गोरी के सीने में बाण मार दिया और गोरी की मृत्यु हो गईं. Basant Panchami ki Kahani
Basant Panchami in Hindi 2020 |
वसंत पंचमी हमें प्रसिद्ध कूका आंदोलन और कूका पंथ के संचालक रामसिंह कूका की भी याद दिलाता हैं. रामसिंह कूका का जन्म लुधियाना के भैणी गावँ में हुआ था. अपने जीवन के शुरुआती दिनों में रामसिंह कूका महाराणा रणजीतसिंह की सेना में सेना थे, फिर घर आकर खेती बाड़ी करने लगे लेकिन अध्यात्म में लगे रहने के कारण इनके प्रवचन बहुत प्रसिद्द हुवे जिसे सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे.
बाद में इनके शिष्यों का एक अलग ही पंथ बन गया जिसे कूका पंथ कहा गया। भारत की आज़ादी और गौरक्षा के लिए अंग्रेजो और मुसलमानो से लड़ते हुवे अनेक कूका पंथी वीरगति को प्राप्त हुवे और 68 क्रांतिकारियों को अंग्रेजो ने पकड़कर फाँसी पर लटका दिया गया. रामसिंह कूका को भी पकड़कर बर्मा की जेल में डाल दिया गया जहाँ 14 साल तक असहनीय पीड़ा सहते हुवे रामसिंह कूका ने अपना शरीर त्याग दिया।
वसंत पंचमी के दिन प्रसिद्ध राजा भोज के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं. राजा भोज इस दिन आम जन के लिए एक बहुत बड़ा भोज कराते थे जिसमे 40 दिनों तक लगभग सभी प्रजा भोजन करती थी.
हिंदी साहित्य के जानेमाने लेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का भी जन्मदिवस वसंत पंचमी के दिन ही हैं. निराला जी का जन्मदिन 28 फरवरी 1899 को हुआ था.
हिन्दू धर्म के किसी भी त्यौहारों में खान-पान का भी विशेष महत्व रहता हैं उसी तरह वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर भी विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाने की परम्परा हैं. भौगोलिक रूप से अलग-अलग जगह अलग-अलग पकवान बनाया जाता हैं जैसे बंगाल में मीठा भात और बूंदी के लड्डू चढ़ाये जाते हैं और फिर उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता हैं और आमजन में भी वितरित किया जाता हैं. Basant Panchami Saraswati Puja
वही बिहार में मालपुवा, खीर और बुनिया खास तौर पर बनाया जाता हैं और पंजाब में मक्के की रोटी, सरसों का साग और मीठा चावल या खीर चढाने की परम्परा का निर्वहन आज भी हो रहा हैं.
तो यह Basant Panchami in Hindi 2020 निबंध आपको कैसी लगी अपनी प्रतिक्रिया इस निबंध के अंत में कमेंट बॉक्स में अवश्य दे. आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए मार्गदर्शन सामान हैं. आपके प्रतिक्रिया से हमें प्रेरणा मिलेगी और हम ऐसे ही प्रेरक कहानियाँ हमेशा खोज-खोज के आपके लिए लाते रहेंगे.Basant Panchami in Hindi : Why Basant Panchami is Celebrated ? Basant Panchami Essay In Hindi, बसंत पंचमी की कहानी.