आज के परिवेश में गाँव का नाम आते ही उसकी परिभाषा एक शब्द में बता दिया जाता है कि “वही न! गाँव वाले गवार।” गवार नहीं यह उनका भोलापन हैं क्योंकि उनके संस्कार, उनकी शिक्षा ही ऐसी है जो प्रेम, शांति और संस्कृति का संरक्षण करना सीखा सके और वो लोग आज भी बहुत हद तक इस पुनीत कार्य मे सफल भी हैं।