गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में | Republic Day Of India Essay In Hindi. |
गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में पर तो आपने कई निबंध या भाषण पढ़ा या सुना होगा लेकिन आज Republic Day Of India Essay In Hindi में एक राष्ट्रवादी नजरिए से 26 January 2020 Essay in Hindi को लिखने का प्रयास हमने किया हैं.
गणतंत्र के सही अर्थों और वर्तमान गणतंत्र दिवस मनाये जाने के पीछे के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालने का कार्य भी इस लेख में किया गया हैं. तो चलिए शुरू करते हैं गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी पर आज तक सबसे बड़ा खुलासा जिसको सबने छुपाया उसे हमने बताया.
प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति वसंत पंचमी, होली, दिवाली, विजयादशमी या नवरात्र की तरह 26 January को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. 1950 में 26 January के दिन भारत का सविधान लागू किया गया. 26 January के दिन को चुनने के पीछे भी एक कारण हैं 1929 में इसी दिन ही भारतीय कांग्रेस ने अपना सभी असफल आंदोलन की तरह पूर्ण स्वराज्य आंदोलन की शुरुआत की थी. 26 नवंबर 1949 को भारतीय संसद द्वारा सर्व्सम्मत्ति से पारित किया गया और इस उपलक्ष्य में प्रति वर्ष 26 नवम्बर को सविधान दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.
गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में:– 2020 में 71 वे गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर आज हम लीग से हटकर उन गुमनाम क्रांतिकारियों को नमन करते हैं जिन्होंने अपना जीवन अपना सर्वस्व राष्ट्र के लिए लगा दिया उनको आज़ाद भारत में भी गुमनामी और दरिद्रता ही मिला चंद्रशेखर आज़ाद और सुभाष चंद्र बोस जैसे महान क्रांतिकारियों की मुखबिरी कर अंग्रेजो के हाथो मरवाने वालो के पास भारत का भविष्य और सविधान निर्माण का कार्य चला गया.
ऐसे लोग जिन्होंने जीवन भर अंग्रेजो के साथ उनका केस लड़ा ऐसे लोगो ने संविधान निर्माण अतः देश निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई भारतीयता खोजने पर भी कही नहीं दिखे ऐसे लोगो ने भारत के महान संविधान का निर्माण किया और उसे 26 January को पुरे भारत में लागु किया। और आज जहाँ हम खड़े हैं वह उसी संविधान का परिणाम हैं. तो चलिए शुरू से शुरू करते हैं गणतंत्र दिवस या षड्यंत्र दिवस।
भारत को गुलाम बनाये रखने के लिए तथा अपनी तानाशाही और अमानवीय शासन को लागु करने के लिए अंग्रेजो ने बहुत गहन विचार के बाद एक शासन प्रणाली बनाया तथा उसको लागु किया। सबसे पहले 1773 में एक एक्ट या गवर्निंग डॉक्यूमेंट द रेगुलेटिंग एक्ट के नाम से बनाया गया इसी एक्ट को समय-समय पर जरूरत के हिसाब से अंग्रेजो ने इसे कई बार अपडेट किया. 26 January Essay in Hindi. गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में
1784 में इस एक्ट को द पिट्स इंडिया एक्ट् के नाम से लागु किया गया फिर कई बार के बदलाव के बाद 1858 में इस क्रूर शासन प्रणाली को द गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट के नाम से लागू किया गया वही 1935 में इसे पुनः इसी नाम के साथ लागु किया गया.
26 january 1950 को भारत के सविधान ने अंग्रेजो द्वारा बनाया गया द गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 की जगह लेकर भारत के गवर्निंग डॉक्यूमेंट के रूप में प्रभाव में आया. अंग्रेजो द्वारा बनाया गया शोषण युक्त शाषन प्रणाली 26 january 1950 तक कार्यरत थी ईस हिसाब से देखा जाये तो और यदि आज का सविधान देशभक्तो की देख रेख में बना हो तो भारत को असली आज़ादी 26 january 1950 को ही मिली। Republic Day Of India Essay In Hindi
लेकिन दुःख की बात यह हैं की भारत की स्वतंत्रता और भारत का सविधान दोनों ही देशभक्तो की देखरेख में नहीं हुवे. 1946 -1950 तक तो जो असली देशभक्त थे वे या तो अंगेजी सरकार और भारत की सरकार से भाग रहे थे या सड़को पर फूल बेचकर जिंदगी जी रहे थे नहीं तो अंग्रेजो के समय में काला पानी और कोल्हू चलाने तक की असहनीय पीड़ा को सहने के बाद भारत की आज़ाद नेहरू सरकार द्वारा लालकिला के काल कोठरी बे बंद किये गए थे. गणतंत्र दिवस निबंध | Republic Day Of India In Hindi
भारत की आज़ादी और भारत के सविधान से राष्ट्रवादियों का कोई लेना देना नहीं हैं भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्रप्रसाद जैसे महान राष्ट्रवादी को भी एक षड्यंत्र के तहत नेहरू ने शासन प्रणाली में दखलंदाजी से दूर रखा सविधान के मुख्य पृष्ठ इस बात का आज भी गवाह हैं की आखिर किस तरह जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम राष्ट्रपति की अवहेलना करता था.
आप हस्ताक्षर का क्रम देखकर पता लगा सकते हैं. आज जिस स्वतंत्रता की ख़ुशी हम मनाते हैं और जिस राष्ट्र गान जन-गण को गर्व से गाते हैं और जिस सविधान को गीता समतुल्य मानते हैं इन सभी का इतिहास काला धब्बा लिए हुवे हैं.
Republic Day Of India In Hindi- गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में – क्या भारत की आज़ादी या स्वतंत्रता इंग्लैंड की पार्लियामेंट तय करेगी यदि सुभास बाबू की आज़ाद हिन्द फौज हमला करके अंग्रेजो को भगाती तो क्या सुभास चंद्र बोस इंग्लैंड के पार्लियामेंट के स्वतंत्रता के सर्टिफिकेट का इंतजार करते तभी हम अपने आपको आज़ाद कह सकते हैं ? क्या यह प्रश्न जायज नहीं हैं ?
क्या बाजीराव पेशवा ने मुघलो के कोर्ट से मिली सर्टीफिकेट को आज़ादी माना या उनसे लड़के भारत को स्वतंत्र कराया और सनातन शासन प्रणाली को लागु किया. Republic Day Of India In Hindi
Republic Day Of India In Hindi | 26 January Essay 2020 |
इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 उस सर्टीफिकेटे का नाम हैं जिसने इंग्लैंड की पार्लियामेंट ने पारित किया और इसी सर्टीफिकेटे को दिखाकर भारत को आज़ाद मान लिया गया. परिवर्तन रत्ती भर भी नहीं हुआ वही अंग्रेजो वाली शासन प्रणाली, वही पुलिस व्यवस्था, वही कोर्ट-कचहरी, वही यातायात नियम, वही कार्य प्रणाली।
यदि आज़ादी के बाद भारतियों ने कोई नया बदलाव किया हो तो उसको खोजने में समय लग जायेगा और मिलेंगे भी तो इतने कम की उँगलियों पर गिना जा सकता हैं. Republic Day Of India In Hindi | 26 January Essay
यदि इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 की बातो पर ध्यान दे तो भी हमें पता चलता हैं की हमें पूर्णतः आज़ादी नहीं मिली हैं. इस एक्ट के अनुसार ब्रिटिश इंडिया का ब्रिटिश कॉमनवेल्थ के दो स्वतंत्र डोमिनियन के रूप में एक पाकिस्तान तो दूसरा भारत के रूप में बटवारा किया गया हैं हम आज भी ब्रिटिश राज्य हैं.
उस आज़ादी का ही परिणाम हैं की भारत आज भी गुलामी के प्रतिक कॉमनवेल्थ खेलो में हिस्सा लेता हैं और गर्व से उसको अपने देश में आयोजित करता हैं और फिर दबा के भ्रस्टाचार करता हैं.
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Republic Day Of India In Hindi | 26 January Essay 2020 – ऐसी कार्यप्रणाली अंग्रेजो की थी घूसखोरी के जन्मदाता अंग्रेजो ने हमें भी घूसखोर बना दिया. कथित आज़ादी के बाद से मानवीय मूल्यों के विकास के ऊपर कोई सराहनीये प्रयास तक नहीं किया गया.
26 January Essay In Hindi- 1947 के बाद हम अपनी भाषा नहीं बदल पाए हमने कैसी स्वतंत्रता पाई ? आज हिंदी या अन्य भारतीय भाषा के माध्यम में पढ़ा विद्यार्थी का भविष्य अंधकार में हैं बिना इंग्लिश उसे भारत में जॉब पाना गुल्लर का फूल देखने जैसा हैं. Republic Day Of India Essay In Hindi
जबकि अन्य देशो जैसे चीन, जापान, रूस यहाँ अंग्रेजी का कोई बोल बाला नहीं हमारे ऊपर तो अंग्रेजी भाषा और अंग्रेजी संस्कृति जबरजस्ती थोपा गया हैं. Republic Day Of India In Hindi | 26 January Essay 2020
अंग्रेजो के पार्लियामेंट से पारित भारत के स्वतंत्रता के सर्टीफिकेट को ही सर्वेसर्वा मानने वाले सविधान पर प्रश्न उठना लाजमी हैं. पिछले 70 से ज्यादा सालो में क्या इस सविधान की वह क्षमता नहीं थी की वह भारत की समस्याओं का लगभग निराकरण कर सके? भारत को पुनः विश्वगुरु और सोने की चिड़िया बना सके?.
क्या 70 साल कम थे? हमारे साथ ही आज़ाद हुवे कई देश आज हमसे अनेक मामलो में कही आगे हैं और आज भी भारत में 70 साल बाद भी गरीबी हटाओ और रोटी-कपडा-मकान और किसानो की समस्या जैसे बुनियादी मुद्दे पर सरकार वोट मांगती हैं क्या इतने सालो में मुद्दा नहीं बदलना चाहिए था? Republic Day Of India Essay In Hindi
WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत जैसे देशो की बदौलत समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक कचरा हो जायेगा। विश्व के सबसे प्रदूषित शहरो में भी भारत के शहर सबसे आगे हैं. हम भले ही जवान देश हैं लेकिन औसत उम्र का लगातार कम होना, भारत की शिक्षा प्रणाली में एक बड़े बदलाव की माँग समय-समय पर बुद्धजीवियों द्वारा की जाती रही हैं लेकिन अभी भी अकबर महान और अंग्रेजो को भारत को डेवलप करने का श्रेय पढ़ाया जाता हैं. Republic Day Of India Essay In Hindi
क्या उपरोक्त समस्या का समाधान एक उचित शासन प्रणाली नहीं कर सकती। कैसा सविधान की जात देखकर कानून बने जुर्म देखकर नहीं जात देखकर जेल हो.
यह कैसा सविधान हैं जो खुलके अपने आँखों पर पट्टी बाँधता हो और फिर न्याय करता हो. वह विश्वास के लायक कभी नहीं हो सकता. एक अँधा जब नाप-तोल करे तभी भ्रस्टाचार जन्म लेता हैं. अंग्रेजो द्वारा बनाया गया सिर्फ कोर्ट कचहरी नियम-कानून ही अभी तक प्रभाव में नहीं है बल्कि अंग्रेजो द्वारा शुरू किये गए भ्रस्टाचार की संस्कृति भी आज तक भारत को दूषित-प्रदूषित कर रही हैं. Republic Day Of India In Hindi, गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में.
अंग्रेजो के जाने के बाद उनके द्वारा फैलाई गई गन्दगी को साफ़ करने की जगह हमने उनके ही नियमों-कानून को थोड़ा सा मोडिफाई कर भारत के सविधान के रूप में या अंग्रेजो के एक कानून को अंग्रेजो के दूसरे कानून द्वारा 26 january 1950 को अंग्रेजो के करीबी लोगो द्वारा रिप्लेस किया गया.
यह कैसा सविधान था जिसने जानवरो को भगवान् मानने वाले और जानवरो का ख़ुशी-ख़ुशी भरण-पोषण साथ ही जानवरो और कमजोर के प्रति अहिंसा परमधर्मो का सन्देश देने वाली भूमि को आज दुनिया का सबसे बड़े मांस निर्यातक देश की सूचि में खड़ा कर दिया। Republic Day Of India Essay In Hindi. गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में.
जिस देश में दूध, घी, शहद की नदियाँ बहती थी उस देश में कमजोर जानवरो और गायो के खून की नदियाँ बह रही हैं. यह कैसा सविधान हैं जो 70 सालो में भी भारत के आम जनता की आम जरुरत रोटी-कपडा-मकान तक सर्वसुलभ न करा पाई. Republic Day Speech in Hindi
ऐसा नहीं हैं की भारत देश ही गरीब हैं भारत संसाधनों से तथा धन-सम्पदा से परिपूर्ण देश हैं यहाँ एक कुशल शासन प्रणाली की आवशयकता हैं बस कुछ ही सालो में भारत पुनः विश्वगुरु चिड़िया बनने मार्ग पर दौड़ पड़ेगा। लेकिन विश्वगुरु और सोने की चिड़िया जिस शासन प्रणाली ने बनाया उस प्रणाली को तो हमने अपना अभिशाप माना क्यों क्युकी ऐसी आज की शिक्षा व्यवस्था कहती हैं.
कपिल सिब्बल जैसे बड़े-बड़े कांग्रेस के नेता और कई बुद्धजीवी जिनकी मासिकता भीमराव से आगे जाती हैं वो भी खुल के सनातन संस्कृति और परम्परा को ढोंग और अभिषाप बताने में गर्व महसूस करते हैं. कोई संविधान कुछ नहीं कहता बोलने की आज़ादी हैं. “भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह!!!” कोई बात नहीं, प्रैक्टिसिंग माय फ्रीडम ऑफ़ स्पीच।
समाजवादी नेता नरेश अग्रवाल दो कदम आगे बढ़कर संसद भवन में सबके सामने हनुमान, माता जानकी और राम जैसे प्रतिष्ठित और देवता माने जाने वाले को मदिरा या दारू में निवास करने वाला बताया कुछ नहीं हुआ. किसी कमलेश तिवारी ने मुहम्मद के बारे में एक शब्द कह दिया उसका गला रेत दिया गया.
गणतंत्र दिवस निबंध | Republic Day Of India Essay In Hindi. |
26 January Essay in Hindi : गणतंत्र दिवस निबंध 2020 – संविधान मुँह ताकती रही जब कश्मीर से लाखो कश्मीरी हिन्दुओं को मार-काट करके हजारो बहनो-बेटियों का बलात्कार करके भगा दिया गया एक व्यक्ति को भी इस सविधान ने सजा नहीं दी अपने आँखों पर पट्टी बाँधी रही लेकिन क्रूर आतंकवादी के बचाव में यही सविधान रात को बारह बजे तैयार और जागरूक हो जाता हैं करोड़ो-अरबो के घोटाला करने वाले बड़े-बड़े मंत्री भी उतने दिन सजा नहीं काटते जितने दिन एक मामूली बिना रेल टिकट के यात्रा करने वाला काटता हैं.
संविधान उस समय भी मूकदर्शक बानी रही रही जब हजारो चीनी सैनिको ने अरुणाचल प्रदेश में घुस के हजारो बहनो-माताओं का आबरू लुटा और खूब कत्लेआम पहुँचाया। 1984 के सिख दंगो में भी यही संविधान बिच सड़क पर जिन्दा जलाये गए सिख भाइयों को चुपचाप अबोध बन निहारता रहा.
जिस गुरुकुल शिक्षा पद्धति ने भारत को विश्वगुरु और सोने की चिड़िया बनाया था क्या आज़ादी के तुरंत बाद उसे रिस्टोर करने का कार्य युद्ध स्तर पर नहीं होना चाहिए था. क्या जो अमूल्य सनातन ग्रन्थ थे, जिनकी बदौलत आज पुरे विश्व को गिनती, गणित, खगोल, चिकित्सा आदि का ज्ञान हुआ. आज इतने बड़े-बड़े खोज संभव हो पाए.
उन ग्रंथो पर केंद्रित हमारा शोधालय या विद्यालय नहीं होने चाहिए थे? क्या यह सविधान की कमी नहीं थी ? क्या हम आज़ाद होकर भारतीय छोड़ अंग्रेज बनने के मार्ग पर अग्रसित नहीं हुवे। क्या आज भी भारत का बच्चा अंग्रेजी भाषा की उँगली पकड़ चलना नहीं सीखता हैं.
जबतक भारत अंग्रेजी बोलेगा पुनः विश्वगुरु नहीं बन पायेगा जिस देश ने अपनी भाषा छोड़ दी उसने अपना इतिहास, अपनी संस्कृति, अपनी परम्परा को छोड़ दी. वो अपनी पहचान को लम्बे समय तक सुरक्षित नहीं रख सकता। गणतंत्र दिवस निबंध | Republic Day Of India In Hindi
क्या भारत के सभी किसी को धोती कुर्ता पैजामा और विभिन्न प्रकार के भारतीय परिधान भी छोड़कर भीमराव जैसा कोर्ट टाई लगाया जायेगा तभी शिक्षित और जेंटलमेन कहलाया जायेगा? इस देश का नाम आदिकाल से भारत हैं अंग्रेजो को किसने अधिकार दिया की वह इस महान देश का नाम अतः उसका पहचान बदलने का कार्य करे. क्या यह सविधान भारत को इंडिया बना रंडिया बनाने की तरफ अग्रसर नहीं कर रहा हैं?
Republic Day Speech in Hindi- यह मेरा ही विचार नहीं हैं अनेक ऐसे बुद्धजीवी हैं जो दबी जबान में ही सही एक नए सविधान की बात करते हैं जो की भारत की जरुरत के हिसाब से बने नाकि किसी षड्यंत्र को लागु करने के लिए बने. आतंकवादियों के बचाव के लिए भी रात १२ बजे कोर्ट का खुल जाना कही न कही सविधान की सच बयां करने के लिए काफी हैं. भारत के हजार टुकड़े करने वाले टुकड़े गैंग के लिए रेडकारपेट बिछाने की परमिशन देने वाला सविधान को बदलने की जरुरत अवश्य हैं.
एक मशहूर कहानी प्रचलित हैं की भारत के सविधान में इतने छेद हैं की अपराधी किसी न किसी छेद से बच निकलता हैं और आज भी कानून पर लोगो का कितना भरोसा हैं यह सबकोई जनता हैं कानून अन्याय करने वाले से ज्यादा अन्याय करता हैं वह भी न्याय दिलाने के नाम पर. इतनी चतुराई वाला भ्रस्टाचार अंग्रेज ही शुरू कर सकते थे. 26 January Essay in Hindi.
भारत में तो पाप पुण्य का लेखा-जोखा होने लगता था लोग बुरे कर्म करने से बचते थे डरते थे आज तो बुरा कर्म करना संजीवनी बन गया हैं लोग मजबूर गलत दिशा में जाने को नहीं जायेंगे तो इस रेस में पीछे रह जायेंगे आधे से ज्यादा लोग इस तंत्र के हाथो मजबूर होकर घुस लेता या देता हैं या कोई भ्रस्टाचार करता हैं. 26 january Essay In Hindi.
भारत को यदि पुनः विश्व गुरु बनना हैं मानवता और पर्यावरण को बचाना हैं तो हमें भी वही नीतियाँ अपनाना होगा जिस नीतियों ने भारत को विश्वगुरु और सोने की चिड़िया बनाया था. हमें राम राज्य वाले नियम स्टोर करने चाहिए थे जहाँ सभी कोई शिक्षित और सुखी था. वह भारत का ज्ञान ही हैं जो पुरे विश्व को एक सही मार्ग दिखा सकता हैं विश्व युद्ध के समय भी शांति स्थापित कर सकता हैं. गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में
उस अमूल्य ज्ञान के संरक्षण और संवर्धन की तरफ ध्यान देना ही सविधान का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए था क्युकी वही सनातनी ज्ञान, ग्रन्थ या शास्त्र सभी समस्याओं का सबसे उचित तरीके से समाधान करना सीखा सकती हैं दूसरा कोई नहीं पिछले 400 सालो से पाश्चात्य शिक्षा पद्धति का ही बोल बाला हैं आज क्या परिणाम निकला पूरा विश्व अघोषित युद्ध की तरफ अग्रसर हैं पूरा पर्यावरण चक्र, जल चक्र, ऋतू चक्र आदि असंतुलित हो चूका हैं
मानवता अपने विनास के मुहाने तक पहुँच चुकी हैं और भीतर-भीतर सुलग रही एक हवा को झोखा ही काफी हैं मानवता को राख करने के लिए. पाश्चात्य ज्ञान का देन ही हैं की आज पूरा विश्व जिस तेजी से घातक परमाणु और हयड्रोजेन बम बनाने में अपने ज्ञान का उपयोग कर रहा हैं. यदि उसकी आधी तेजी से भी निःस्वार्थ भाव से मानवता के भलाई के लिए उतने पैसे खर्च करती शोध करती तो शायद मानवता को एक नया आयाम मिलता।
उस पाश्चात्य संस्कृति और पाश्चात्य ज्ञान का पूरा प्रभाव हमारे सविधान पर भी दिखता हैं जिस वजह से हम भी सही मार्ग छोड़ विनास मार्ग पर ही अग्रसर हैं. हमें एक बहुत बड़े सकारात्मक और कठोर परिवर्तन की आवश्यकता हैं यदि पूरी मानवता साथ ही भारतीय संस्कृति और भारतीयता को भविष्य में बचाना हैं तो, क्युकी गाँधी जी एक ऐसा टाइम बम फिट करके चले गए हैं जिसने विश्व के लगभग 50 से ज्यादा देशो को अपने आगोश में ले लिया हैं तथा भारत को भी लेने के लिए पिछले कई सैकड़ो साल से पलंगतोड़ मेहनत कर रहे हैं और अपनी-अपनी अकेली फौज तैयार कर रहे हैं. Republic Day Of India Essay In Hindi
संविधान भी उस टाइम बम को जानती हैं सरकार भी जानती हैं, जागरूक जनता भी जानती हैं लेकिन सबकोई मूकदर्शक हैं क्युकी संविधान असहाय हैं निर्बल हैं. उसकी आग की गर्मी दिल्ली, केरल, बंगाल, कश्मीर उत्तरप्रदेश, गुजरात, बिहार आदि जगहों पर समय-समय पर या CAA और NRC के विरोध में खड़े हिंसक भीड़ को देखकर लग जाता हैं
विपरीत परिस्थितियाँ होते हुवे भी देश द्रोही सरकार या शाशन प्रणाली होते हुवे भी भारतीय सेना ने जिस प्रकार से भारत को चारो तरफ से सुरक्षित रखा हैं उनका कोटि-कोटि धन्यवाद। हम भारतियों का सौभाग्य हैं की हमें अपने मातृभूमि से प्रेम करने वाले वीर योद्धा मिले हैं वो रात भर जागते हैं ताकि हम चैन से सो सके और भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह! इंशाल्लाह! चिल्ला सके. जय हिन्द जय भारत
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Ravindra
हमारे देश के वीरो और वीरांगनाओं को सत्त सत्त नमन।