Hindi Short Story Writing Competition Topics | कहानी लेखन-2 |
यदि लिखना आपका पैशन हैं और आप अपने कहानी के लिए एक अच्छा विषय खोज रहे हैं तो हम आज आपको कुछ अच्छे विषय सुझा रहे हैं जिस पर आप कहानी लेखन का कार्य कर सकते हैं। Story Writing Topics In Hindi.
लालची राजा, सच्चा लकड़हारा, भला आदमी, बिना विचारे काम मत करो, दया का शुभ फल, पिता और पुत्र, ईश्वर सब कहीं हैं, मित्र की सलाह, स्वर्ग का दर्शन, सबसे बड़ा पुण्यात्मा, मक्खी का लोभ, मेल की शक्ति, सच्ची जित, मूर्खराज, जाओ और आओ, खरगोश और मेढक, बादशाह और माली, नेकीका बदला, उपकार का बदला, लालची बन्दर आदि।
Hindi Short Story Writing Competition Topics
उपयुक्त किसी भी विषय पर आप कहानी लेखन का कार्य कर सकते हैं। उपयुक्त विषयों पर पहले से ही प्रचलित कहानियाँ हो सकती हैं लेकिन लेखक आपने भाषा में और अपने बुद्धिमता का परिचय देते हुवे अनेकानेक कहानियों की रचना कर सकता हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए की हमारे द्वारा लिखित कहानी शिक्षा से ओत-प्रोत हो उससे समाज में एक अच्छा सन्देश जाए। Hindi Short Story Writing Competition Topicsइन्हे भी पढ़े
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तो चलिए शरू करते हैं कुछ बहुत ही रोचक और शार्ट कहानियाँ जो शिक्षा और प्रेरणा से भरपुर हैं। बच्चो को कहानियाँ जरूर पढ़नी चाहिए इन कहानियों उनका सर्वांग्रीण विकास होगा। कहानियाँ बच्चो के कोमल हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हमें बहुत सतर्क रहना चाहिए हमारे बच्चे दूषित और प्रदूषित कहानियों से रहे तो चलिए शुरू करते हैं एक प्रेरक कहानी - 'मित्र की सलाह'
मित्र की सलाह -
दुर्गादास था तो धनी किसान; किन्तु बहुत आलसी था। वह न अपने खेत देखने जाता था, न खलिहान। अपनी गाय-भैसों की भी वह खोज-खबर नहीं रखता था। और न अपने घर के सामानों की ही देख-भाल करता था। सब काम वह नौकरों पर छोड़ देता था। उसके आलस और कुप्रबंध से उसके घर की व्यवस्था बिगड़ गयी। उसको खेतो में हानि होने लगी। गायों के दूध-घी से भी उसे कोई अच्छा लाभ नहीं होता था।
एक दिन दुर्गादास का मित्र हरिश्चंद्र उसके घर आया। हरिश्चंद्र ने दुर्गादास के घर का हाल देखा। उसने यह समझ लिया की समझाने से आलसी दुर्गादास अपना स्वभाव नहीं छोड़ेगा। इसीलिए उसने अपने मित्र दुर्गादास की भलाई करने के लिये उससे कहा - 'मित्र! तुम्हारी विपत्ति देखकर मुझे बड़ा दुःख हो रहा हैं। तुम्हारी दरिद्रता को दूर करने का एक सरल उपाय मैं जानता हूँ।'
दुर्गादास - 'कृपया वह उपाय मुझे बताओ मैं उसे अवश्य करूँगा।' हरिश्चंद्र -'सभी पक्षियों के जागने से पहले ही मानसरोवर पर रहनेवाला एक सफ़ेद हंस पृथ्वी पर आता हैं। वह पहर दो पहर दिन चढ़े लौट जाता हैं। यह तो पता नहीं की वह कब कहाँ आयेगा; किन्तु जो उसका दर्शन कर लेता हैं,उसको कभी किसी बात की कमी नहीं होती। Hindi Short Story Writing Competition Topics
सफ़ेद हंस की खोज
खलिहान से वह हर लौट आया और गौशाला में गया। वहाँ का रखवाला गाय का दूध दुहकर अपनी स्त्री के लोटे में डाल रहा था। दुर्गादास ने उसे डाँटा। घर पर जलपान करके हंस की खोज में वह फिर निकला और खेत पर गया। उसने देखा की खेत पर अबतक मजदुर आये ही नहीं थे। वह वहाँ रुक गया। जब मजदुर आये तो उन्हें देर से आने का उलाहना दिया। इस प्रकार वह जहाँ गया, वही उसकी कोई-न-कोई हानि रुक गई।
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सफ़ेद हंस की खोज में दुर्गादास प्रतिदिन सबेरे उठने और घूमने लगा। अब उसके नौकर ठीक काम करने लगे। उसके यहाँ चोरी होनी बंद हो गई। पाहिले वह रोगी रहता था, अब वह तरोताजा महसूस करता उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता हैं। जिस खेत से उसे दस मन अन्न मिलता था, उससे अब पच्चीस मन मिलने लगा। गौशाला से दूध बहुत अधिक आने लगा।
एक दिन फिर दुर्गादास का मित्र हरिश्चंद्र उसके घर आया। दुर्गादास ने कहा - 'मित्र! सफ़ेद हंस तो मुझे अब तक नहीं दिखा; किन्तु उसकी खोज में लगने से मुझे लाभ बहुत हुआ हैं। हरिश्चंद्र हँस पड़ा और बोलै -'परिश्रम करना ही वह सफ़ेद हंस हैं।
Hindi Short Story Writing Competition Topics
परिश्रम के पंख सदा उजले रहते हैं। जो परिश्रम न करके अपना काम नौकरों पर छोड़ देता हैं, वह हानि उठाता हैं। जो स्वयं परिश्रम करता हैं तथा जो स्वयं नौकरों की देखभाल करता हैं, वह संपत्ति और सम्मान पता हैं।उपरोक्त Hindi Short Story Writing Competition Topics से हमें यह सिख मिलती हैं की हमें आलसी नहीं होना चाहिए आलसी रोइ तो होते ही सभी ओर हानि भी उठानी पड़ती हैं। हमें परिश्रम करना चाहिए और कोई कार्य दूसरे के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। प्रतिदिन अपने कारोबार या संपत्ति का जायजा लेना चाहिए।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती हैं की जो ज्ञान दुसरो को दिया जाता हैं उसे पहले स्वयं ग्रहण करना चाहिए उसे सबसे पहले अपने कर्म में उतारना चाहिए फिर दुसरो को उपदेश देना चाहिए नहीं तो हमें समाज में शर्मिन्दगी उठानी पड़ेगी। और सही में ईश्वर हर जगह हैं सबके सब कार्य देखते हैं। ॐ नमः शिवाय।
तो यह कहानी आपको कैसी लगी अपनी प्रतिक्रिया इस निबंध के अंत में कमेंट बॉक्स में अवश्य दे। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए मार्गदर्शन सामान हैं। आपके प्रतिक्रिया से हमें प्रेरणा मिलेगी और हम ऐसे ही प्रेरक कहानियाँ हमेशा खोज-खोज के आपके लिए लाते रहेंगे तो चलिए Hindi Short Story Writing Competition Topics के अगली कड़ी में एक और कहानी के उदहारण को पढ़ते हैं जिसका नाम - 'दया का फल'
दया का फल
बादशाह सुबुक्तगीन पहले बहुत गरीब था। वह एक साधारण सैनिक था। एक दिन वह बन्दुक लेकर, घोड़े पर बैठकर जंगल में शिकार खेलने गया था। उस दिन उसे बहुत दौड़ना और हैरान होना पड़ा। बहुत दूर जाने पर उसे एक हिरनी अपने बच्चे के साथ खेलती दिखायी पड़ी। सुबुक्तगीन उसके पीछे घोड़ा दौड़ा दिया।
हिरनी ने देखा कि उसके बच्चे को शिकारी बाँधकर लिये जा रहा है। वह अपने बच्चे के मोह से झाड़ी से निकल आयी और सुबुक्तगीन के पीछे-पीछे दौड़ने लगी। दूर जाकर सुबुक्तगीन ने पीछे देखा। अपने पीछे हिरनी को दौड़ते देख उसे आश्चर्य हुआ और उस हिरनी पर दया आ गयी। उसने उसके बच्चे के पैर खोलकर घोड़े से उतार दिया।
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हिरनी प्रसन्न होकर अपने बच्चे के साथ कूदते हुवे भाग गई। उस दिन घर लौटकर जब रात में सुबुक्तगीन सोया तो उसने एक स्वप्न देखा। उससे कोई देवदूत कह रहा था -'सुबुक्तगीन! तूने आज एक असहाय हिरन पर जो दया की हैं, उससे प्रसन्न होकर परमात्मा ने तेरा नाम बादशाहों की सूची में लिख दिया हैं। तू एक दिन बादशाह बनेगा।'
स्वप्न सच हुआ
सुबुक्तगीन का स्वप्न सच साबित हुआ। आगे चलकर वह बादशाह हुआ। एक हिरनी पर दया करने का उसे यह फल मिला। जो जीवों पर दया करता हैं, उसपर भगवान् अवश्य प्रसन्न होते हैं।
तो यह कहानी आपको कैसी लगी अपनी प्रतिक्रिया इस निबंध के अंत में कमेंट बॉक्स में अवश्य दे। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए मार्गदर्शन सामान हैं। आपके प्रतिक्रिया से हमें प्रेरणा मिलेगी और हम ऐसे ही प्रेरक कहानियाँ हमेशा खोज-खोज के आपके लिए लाते रहेंगे तो चलिए Hindi Short Story Writing Competition Topics के अगली कड़ी में एक और कहानी के उदहारण को पढ़ते हैं जिसका नाम - 'ईश्वर सब कहीं हैं'
ईश्वर सब कहीं हैं
दातादीन अपने लड़के गोपाल को नित्य शाम को सोने से पहले कहानियाँ सुनाया करता था। एक दिन उसने गोपाल से कहा - 'बेटा एक बात कभी मत भूलना कि भगवान् सब कहीं हैं। गोपाल ने इधर-उधर देखकर पूछा - 'पिताजी! भगवान् सब कहीं हैं ? वह मुझे तो कही दीखते नहीं।
दातादीन ने कहा - 'हम भगवान् को देख नहीं सकते; किन्तु वे हैं सब जगह और हमारे सब कामों को देखते रहते हैं।' गोपाल ने पिता जी की बात याद कर ली। कुछ दिन बाद आकाल पड़ा। दातादीन के खेतों में कुछ नहीं हुआ। एक दिन गोपाल को लेकर रात के अँधेरे में वह गाँव से बाहर गया।
वह दूसरे किसान के खेत में चोरी से एक गट्ठा अन्न काट कर घर लाना चाहता था। गोपाल को मेढ़ खड़ा करके उसने कहा -'तुम चारो ओर देखते रहो, कोई इधर आवे या देखे तो मुझे बता देना।' जैसे ही दातादीन खेत में अन्न काटने बैठा गोपाल ने कहा - 'पिताजी! रुकिये।'
दातादीन ने पूछा - 'क्यों, कोई देखता हैं क्या ?' 'हाँ! देखता हैं।' गोपाल ने बड़ी मासूमियत से कहा दातादीन छुपते-छुपते खेत से निकलकर मेड़ पर आया। उसने चारो तरफ देखा। जब कोई नहीं दिखा तो उसने पुत्र से पूछा - 'कहाँ ? कौन देखता हैं।'
Hindi Short Story Writing Competition Topics
वह दूसरे किसान के खेत में चोरी से एक गट्ठा अन्न काट कर घर लाना चाहता था। गोपाल को मेढ़ खड़ा करके उसने कहा -'तुम चारो ओर देखते रहो, कोई इधर आवे या देखे तो मुझे बता देना।' जैसे ही दातादीन खेत में अन्न काटने बैठा गोपाल ने कहा - 'पिताजी! रुकिये।'
दातादीन ने पूछा - 'क्यों, कोई देखता हैं क्या ?' 'हाँ! देखता हैं।' गोपाल ने बड़ी मासूमियत से कहा दातादीन छुपते-छुपते खेत से निकलकर मेड़ पर आया। उसने चारो तरफ देखा। जब कोई नहीं दिखा तो उसने पुत्र से पूछा - 'कहाँ ? कौन देखता हैं।'
हाँ! देखता हैं।
गोपाल ने कहा -'आपने ही तो कहा था की ईश्वर सब कहीं हैं और सबके सब काम देखता हैं। तब वह आपको खेत काटते क्या नहीं देखेगा ?' दातादीन पुत्र की बात सुनकर लज्जित हो गया। चोरी का विचार छोड़कर वह गोपाल को लेकर हर आ गया।Hindi Short Story Writing Competition Topics
सच्ची जित:- Hindi Short Story Writing Competition Topics
एक गाँव में एक किसान रहता था। उसका नाम था शेर सिंह। शेरसिंह शेर-जैसा भयंकर और अभिमानी था। वह थोड़ी-सी बात पर बिगड़कर लड़ाई कर लेता था। गाँव के लोगों से सीधे मुँह बात नहीं करता था। न तो वह किसी के घर जाता था और न रास्ते में मिलने पर किसी को प्रणाम करता था। गाँव के किसान भी उसे अहंकारी समझकर उससे नहीं बोलते थे।
उसी गाँव में एक दयाराम नाम का किसान आकर बस गया। वह बहुत सीधा और भला आदमी था। सबसे नम्रता से बोलता था। सबकी कुछ-न-कुछ सहायता किया करता था। सभी किसान उसका आदर करते थे और अपने कामों में उससे सलाह लिया करते थे।
गाँव के किसानो ने दयाराम से कहा - 'भाई दयाराम! तुम कभी शेरसिंह के हर मत जाना। उससे दूर ही रहना। वह बहुत झगड़ालू हैं।' दयाराम ने हँस कर मजाक करते हुये कहा -'शेर सिंह ने मुझसे झगड़ा किया तो मैं उसे मार ही डालूँगा।'
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दूसरे किसान भी हँस पड़े। वे जानते थे की दयाराम बहुत दयालु हैं। वह किसी को मारना तो दूर, किसी को गाली तक नहीं दे सकता। लेकिन यह बात किसी ने शेरसिंह से कह दी। शेरसिंह क्रोध से लाल हो गया। वह उसी दिन से दयाराम से झगड़ने की चेष्टा करने लगा। उसने दयाराम के खेत में अपने बैल छोड़ दिये। बैल बहुत सारा खेत चर गये; किन्तु दयाराम ने उन्हें चुपचाप खेत से हाँक दिया।
शेरसिंह ने दयाराम की खेत में जानेवाली पानी की नाली तोड़ दी। पानी बहने लगा। दयाराम ने आकर चुपचाप नाली बाँध दी। इसीप्रकार शेरसिंह बराबर दयाराम की हानि करता रहा; किन्तु दयाराम ने एक बार भी उसे झगड़ने का अवसर नहीं दिया।
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एक दिन दयाराम के यहाँ उनके सम्बन्धी ने लखनऊ के मीठे खरबूजे भेजे। दयाराम ने सभी किसानों के घर एक-एक खरबूजा भेज दिया; लेकिन शेरसिंह ने उसका खरबूजा यह लौटा दिया की 'मैं भिखमंगा नहीं हूँ। मैं दुसरो का दान नहीं लेता।
लेकिन दयाराम ने अपने बलवान बैल पकड़े और नाले की ओर चल पड़ा। लोगो ने उसे रोका और कहा -'दयाराम! शेरसिंह ने तुम्हारी बहुत हानि की हैं। तुम तो कहते थे कि मुझसे लड़ेगा तो उसे मार ही डालूँगा। फिर तुम आज उसकी सहायता करने क्यों जाते हो ?'
दयाराम बोलै -'मैं आज सचमुच उसे मार डालूँगा। तुम लोग सबेरे उसे देखना।' जब शेरसिंह ने दयाराम को बैल लेकर आते देखा तो गर्व से बोला -'तुम अपने बैल लेकर लौट जाओ। मुझे किसीकी सहायता नहीं चाहिये।' दयाराम ने कहा - 'तुम्हारे मन में आवे तो गाली दो, मनमे आवे मुझे मारो, इस समय तुम संकट में हो। तुम्हारी गाड़ी फँसी हैं और रात हो रही हैं। Hindi Short Story Writing Competition Topics.
मैं तुम्हारी बात इस समय नहीं मान सकता।' दयाराम ने शेरसिंह के बैलों को खोलकर अपने बैल गाड़ी में जोत दिये। उसके बलवान बैलो ने गाड़ी को खीचकर नाले से बाहर कर दिया। शेरसिंह गाड़ी लेकर घर आ गया। उसका दुष्ट स्वभाव उसी दिन से बदल गया।
आपकी प्रतिक्रिया हमारा मार्गदशन हैं।
वह कहता था -'दयाराम ने अपने उपकार के द्वारा मुझे मार ही दिया। अब मैं अहंकारी शेरसिंह कहाँ रहा।' अब वह सबसे नम्रता और प्रेम क व्यवहार करने लगा। बुराई को भलाई से जितना ही सच्ची जित हैं। दयाराम ने सच्ची जित पायी।
Hindi Short Story Writing Competition Topics. जाते-जाते निचे कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया देना न भूले और ऐसे ही आदर्श कहानी, प्रसिद्ध जीवनी, अनकहे इतिहास, महाभारत की कहानी, प्रसिद्द मंदिर, टॉप न्यूज़, ज्ञान की बाते , प्रेरक वचन पढ़ने के लिए इस ब्लॉग को फॉलो जरूर करे। Hindi Story Writing Topics, Hindi Short Story Writing Competition Topics, Hindi Story Writing Topics
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