Complete Ramayan Story In Hindi |
तो चलिए सबसे प्रिये भगवान् श्री राम चंद्र के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं और उनके जीवन चरित्र को थोड़ा और नजदीक से देखते हैं और उनसे सिख लेते हैं तो चलिए शुरू करते हैं –
महान प्रतापी सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र और माता गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाने वाले यशश्वी राजा भागीरथी राजा दशरथ के पूर्वजो में से एक थे।
पहली रानी का नाम कौसल्या दूसरी रानी का नाम सुमित्रा तथा तीसरी रानी का नाम कैकेयी था। राजा दशरथ एक महान धनुर्धारी थे वो शब्दभेदी बाण चलाने में माहिर थे वो सिर्फ शब्द की आवाज सुन कर बिना लक्ष्य को देखे उसे भेद सकते थे।
बहुत समय तक राजा को कोई संतान उत्पन्न नहीं हुआ इस बात की चिंता राजा दशरथ के मन में हमेशा रहती थी। एक दिन इसी चिंता में डूबे थे जो राजगुरु वशिष्ठ ने दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ कराने का सुझाव दिया। शृंगी ऋषि के देख-रेख में उन्होंने ही यह यज्ञ संपन्न कराया।
लक्षमण जी थोड़े चालु तो भगवान् श्री राम शांत और गंभीर स्वभाव के थे। चारो भाई पढ़-लिखने में भी बहुत होशियार थे। शीघ्र ही उन्होंने बाण चलाना आदि युद्ध-विद्याएँ सिख लीं।
इन्होने दशरथ से राक्षसों को मारने के लिए तथा यज्ञ की रक्षा करने के लिए राम तथा लक्ष्मण को माँगा। राजा दशरथ ने हाथ जोड़कर ऋषि विश्वमित्र से कहा – ‘हे ऋषि ! राम और लक्ष्मण दोनों अभी बालक हैं इतने बड़े-बड़े राक्षसों से युद्ध के लिए उन्हें मत ले जाइये मैं अपनी पूरी सेना और खुद स्वयं चलता हूँ और उन राक्षसों के साथ युद्ध करूँगा और आपके यज्ञ की रक्षा भी करूँगा।’
माता सीताजी के विवाह हेतु स्वयंवर का आयोजन किया। पुरे आर्यव्रत के बड़े-बड़े शूरवीर योद्धाओं को बुलाया गया था। रावण भी उस आयोजन सम्मिलित हुआ था। सब राजाओ ने बड़ी कोशिश की, किन्तु कोई भी इसे हिला भी नहीं पाया उठा कर रस्सी बंधाना तो दूर।
राजा दशरथ के चार पुत्रो में राम जिन्होंने धनुष तोडा वह सबसे बड़े हैं।’ ऋषि द्वारा श्री राम का परिचय सुनने के बाद उनके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा उन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी सीता सहित अपनी चारो पुत्रियों का विवाह राजा दशरथ चारो पुत्रो से करने का निश्चय किया।
राजा जनक ने चारो के विवाह के लिए महर्षि से निवेदन किया महर्षि ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। उसके बाद राजा जनक के दरबार में खुशियाँ मनाई जाने लगी मिठाइयाँ बाँटे जाने लगे ढोल-नगाड़ा बजने लगा। ऋषि ने यह शुभ सन्देश अयोध्या में भेजवा दिया। अयोध्या में राजा दशरथ ने समाचार सुनते ही पुरे अयोध्या को सजाने का और प्रजा उपहार बाटने का आदेश दिया। Ramayan Story With Pictures.
श्री रामचंद्र जी का विवाह माता सीता के साथ , लक्षमण जी का विवाह माता उर्मिला के साथ, भरत जी का विवाह माता मांडवी के साथ और शत्रुधन जी का विवाह माता श्रुतिकीर्ति के साथ संपन्न हुआ।
उन्होंने पूछा- ‘हे केकयी! तुम क्यों दुखी हो सबकोई देखो कितना प्रसन्न है आखिर किस चीज गई तुमको मुझे बताओ साड़ी दुनिया से खोज के मैं ला दूँगा तुम दुःख मत करो मुझे बताओ आपको क्या चहिए ?’
लक्ष्मण जी अपना धनुष और तीर कमान उठाकर भारत से युद्ध करने की तैयारी करने लगे और श्री राम को भी तैयारी करने को कहने लगे। लक्ष्मण जी बहुत क्रोधित हो गए थे उन्होंने भरत के वध करने की प्रतिज्ञा खाने जा रहे थे तभी आकशवाणी हुई और उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा रोक ली भगवान् श्री राम ने लक्ष्मण जी को समझाया और कहा की भरत ऐसा नहीं हैं मैं अभी एक इशारा करू तो वो तुम्हे सारा राज्य दे सकता हैं।
श्री राम सही थे भरत युद्ध करने नहीं उनलोगो को वापस बुलाने आये थे लेकिन श्री राम ने वापस जाने से इंकार कर दिया। भरत जी के बहुत निवेदन करने पर भी राम जी नहीं माने। अंत में भरत उनकी चरण पादुकाएँ लेकर वापस अयोध्या आ गए और इन पादुकाओं को सिंहासन पर विराजित कर राज्य चलाने लगे। Ramayan Hindi
Ramayan Story In Hindi – शूर्पणखा की नाक
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फिर लक्ष्मण जी ने माता सीता और उनके कुटिया के चारो तरफ एक लक्ष्मण रेखा खींची और माता सीता से उस रेखा से बाहर नहीं जाने का निवेदन कर वो आवाज अपना धनुष-बाण उठा कर चल दिए। रावण इसी पल के इन्तजार में बैठा था। उसने एक झूठे साधू का भेष बनाया और माता सीता के पास भिक्षा माँगने के नाम पर उनका अपहरण कर लिया।
Ramayan माता सीता का दुष्ट रावण द्वारा हरण |
सुग्रीव जी ने पृथ्वी के कोने-कोने में दसो दिशा में माता सीता की खोज करने के लिए दूतों को भेजा। सभी दूत सभी दिशाओं की तरफ चल पड़े। कुछ समय पश्चात सभी निराश होकर वापस लौट आये।
अब पूरी धूम-धाम के साथ भगवान् श्री राम का राजयभिषेक हुआ। एक बार पुनः से लेकर पुरे भारत वर्ष में श्रीराम के राजयभिषेक की तैयारी पुरे जोरशोर से चलने लगी। सभी लोग शीघ्र ही अपने चाहते राजकुमार को राजा बनते हुवे देखना चाहते थे।
भगवान् श्री राम अत्यंत दुखी हुवे वे अब हमेशा के लिए अकेले हो गए कुछ समय पश्चात श्री राम ने भी सरयू में अपना शरीर त्याग दिया और जल समाधी ले ली। लव और कुश बहुत वीर थे बाद में वे राजा बने और राज करने लगे। अथ श्री रामायण सम्पूर्णम।
श्री राम हमारे प्राणवायु हैं। यह सिर्फ श्री राम का नाम ही था जिसने हजारो सालो की गुलामी में भी हमें अधर्म के खिलाफ लड़ने का ऊर्जा देता रहा। वह राम नाम की ही संजीवनी थी जिसने गुलामी काल में भी हिन्दू संस्कृति को जीवित रखा वह राम ही हैं जो हमें हमेशा एकता के सूत्र में बाँधते हैं।
सभी पुरुषो में सर्वोत्तम, मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम सभी मनुष्यों के लिए सबसे उत्तम आदर्श हैं। आज के समय में भी राम राज्य को ही सबसे अच्छी शासन प्रणाली कहा जाता हैं। कोई भी राजा या मंत्री अपने राज्य को राम राज्य समतुल्य बताकर ही अच्छा महसूस करता हैं। राम राज्य किसी भी सरकार का लक्ष्य होता हैं। आज तक राम जैसा राजा कोई नहीं हुआ।Ramayan Story In Hindi.
श्री राम जन्म के कुछ वर्ष पश्चात् ही शिक्षा ग्रहण करने हेतु राज-महल के सुख-आराम छोड़ जंगल में कड़ी तपस्या के लिए चले जाना, वहाँ भयंकर राक्षसों से लगातार युद्ध में रत रहना इसी बीच विवाह हो जाना।
उसके तुरंत बाद राज सिंहासन की जगह नई-नई अपने ससुराल आई माता सीता और भाई लक्षमण के साथ 12 वर्ष का वनवास अभी वनवास की कठिनाई ख़त्म हुई नहीं थी की धर्म पत्नी का सबसे शक्तिशाली राक्षस द्वारा अपहरण कर लेना।
कई महीनो तक भूखे प्यासे पहाड़, जंगल, नदी, समुद्र पार करते हुवे माता-सीता की खोज करना फिर इतनी कठिनाई में भी समुद्र पर पुल बांधना घर से सिर्फ भाई और पत्नी के साथ निकले थे और अंत में कोटि सेना लेकर रावण के साथ भयंकर युद्ध करके उसके सारे राक्षस जाती का अंत करना।
भगवान् लक्षमण और माता-सीता के साथ वापस अयोध्या आते ही लोक लज्जा के कारण धर्म-पत्नी से अलग होना। पुत्र के सुख से वंचित होना और जब पुत्र मिला तो पत्नी से हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाना।
पुरे जीवन काल में एक बार भी ऐसा कोई मौका श्री राम को नहीं मिला की वो अपने बच्चो,पत्नी, माता-पिता अपने परिवार के साख सुखपूर्वक राज कर सके। श्री राम के व्यक्तिगत जीवन हमेशा अपूर्ण रहा लेकिन फिर भी उनके राज में प्रजा सुख के सबसे अच्छे आयाम पर रही।
राम किसी भी कठिन समय में अपने कर्त्वय से दूर नहीं गए। भले ही परेशानियाँ थी लेकिन फिर भी उन्होंने हमेशा प्रजाहित में ही कार्य किया उनके समय में प्रजा को कोई दुःख नहीं था। मानव के कसौटी पर देखा जाए तो राम बहुत दुखी थे लेकिन उनकी महानता यह हैं की एक चींटी भी श्री राम के वजह से जीवन में कभी भी दुखी नहीं हुई।
श्री राम के पुरे जीवन पर एक दृष्टि डाला जाए तो हमें पता चलता हैं की उनका जीवन कितना सिंघर्षपूर्ण रहा हैं। चक्रवर्ती सम्राट के पुत्र होने के बावजूद बचपन से ही कभी उनको कोई सुख नहीं मिला। हमारे नजर से जो सुख होने चाहिए श्री राम हमेशा उनसे वंचित रहे फिर भी तनिक मात्र भी दुःख, असंतोष, व्याकुलता, मोह, लोभ, क्रोध या अधर्य के भाव उनमे नहीं दिखा। लाख मुसीबते उनके जीवन पर टूटी फिर भी श्री राम शांत चित आनंद भाव से ही धर्मानुसार जीवन के निर्णय लेते रहे।
और मुझे लगता हैं हमारे सभी सुखो का सार इसी में छिपा हैं। मानव मात्र के लिए यह एक ब्रह्म ज्ञान हैं जो हमें श्री राम के जीवन से सिखने को मिलता हैं। छोटी से छोटी परेशानियों में भी घबराकर या क्रोध करके हम अपना बहुत बड़ा अहित स्वयं कर लेते हैं यदि श्री राम की तरह परेशानियों से भी लड़ने की प्रेरणा लिया जाये तो फिर कोई समस्या ना रहेगी।
इतने कष्ट और संघर्षपूर्ण जीवन होने के बाद भी श्री राम ने जो आदर्श स्थापित कर दिए हैं वो हमसे प्रत्येक मनुष्य का लक्ष्य बन चूका हैं। आज तक राम जैसा आदर्श पुत्र, राम जैसा आदर्श भाई, राम जैसा आदर्श पति, राम जैसा आदर्श बंधू, राम जैसा आदर्श राजा और राम जैसा आदर्श मनुष्य जन्म नहीं लिया।
और यही सब कारण हैं की राम भगवान् हैं। राम ईश्वर ही हैं जिन्होंने मनुष्य योनि में जन्म लेकर मनुष्यो को जीवन जीने का सर्वोत्तम मार्ग धर्म का मार्ग दिखाया। उस मार्ग पर स्वयं चलते हुवे काम,क्रोध,मोह, तृष्णा और दुःख से दूर रहते हुवे उन्होंने एक आदर्श स्थापित किया। विषम परिश्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए ऐसी सिख हमें श्री राम ने ही दी।
Hanumangi
Lord Hanuman ji is one of the most powerful deities in the world. It is the time to praise jai Hanuman, the great god of Hinduism. He has many names and forms and is worshiped by millions of people all over the world.
Hanuman Chalisa
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Hanuman gi
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