Happy Diwali 2019 |
आइये जानते हैं दीपावली के इस उत्सव को मनाने के पीछे क्या दार्शनिक महत्व, पौराणिक कथा और इतिहास हैं ?
यह पर्व श्री विष्णु का गृहस्थ पर्व हैं। इस पर्व पर गणेश जी और लक्ष्मी जी दोनों की पूजा होती हैं। यदि गणेश जी की पूजा नहीं की तो लक्ष्मी जी नहीं आएँगी इसीलिए दोनों को पूजना आवश्यक हैं। लक्ष्मी और गणेश जी का सम्बन्ध माता और पुत्र का हैं।
चुकी माता लक्ष्मी हमेशा अपने पुत्र के मोह में रहती हैं इसीलिए दोनों की पूजा साथ होती हैं। इस महोत्सव की शुरुआत या पर्वकाल धनतेरस से शुरू हो जाती है। कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व दीपावली घनघोर अन्धकार से व्याप्त रहती हैं जिस वजह से विघ्न-बाधा का आना संभव हैं।
ये विघ्न-बाधा अधिदैहिक, आधिदैविक, अधिभौतिक आदि प्रकार के हो सकते हैं। इन विघ्नो से बचने के लिए विध्ननाशक स्वरुप श्री गणेश जी की आवश्यकता पड़ती हैं साथ ही दीप की वजह से पंचतत्व भूमि, जल, आकाश, अग्नि, वायु भी संतुलित हो जाते हैं और सभी प्रकार के वास्तुदोष भी दूर होते हैं।
तेल से भरे दीपो के प्रकाश से तेल और बत्ती के जलने के गंध से वातावरण में व्याप्त विषैले कीटाणु नष्ट होते हैं और पर्यावरण शुद्ध, पवित्र और प्रदुषण मुक्त हो जाता हैं तथा चमक-दमक से मन को प्रसन्नता मिलती हैं।
दीपावली मनाने के पीछे कई पौराणिक कहानियाँ भी दीपोत्सव के इस महान पर्व से जुडी हुई हैं आइये इन कहानियो पर प्रकाश डालते हैं। भारत के अधिकत्तर राज्यों में दीपावली के अवसर पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा होती हैं लेकिन भारत के कुछ राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, और असम में माँ काली का भी पूजा पुरे धूम-धाम से होता हैं। दीपावली के अवसर पर माँ काली की पूजा के पीछे एक पौराणिक कहानी हैं।
माँ काली जब अपने रौद्र रूप में सभी दैत्यों राक्षसों का भीषण रक्तपात करने के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तब भगवान शंकर माँ काली के सामने लेट गए और जैसे ही माँ काली का पैर भोले नाथ के शरीर को स्पर्श किया वैसे ही माँ काली का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने रक्तपात करना बंद किया। माँ काली के शांत रूप लक्ष्मी का पूजन इस दिन होता हैं पश्चिम बंगाल हमेशा से दुर्गा और उनके नौ रूपों का पूजक रहा हैं। दीपावली के दिन माँ काली का क्रोध शांत हुआ था इस ख़ुशी में दीप जलाने से हमारे भी दुःख कष्ट दूर होते हैं।
Happy Diwali 2019 |
दीपावली का पर्व मनाने के पीछे एक और बहुत बड़ी कहानी हैं। आज के हिदीन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था तथा उसके कैद से 16 हजार स्त्रियों को कैद मुक्त किया था।
दीपावली के दिन गणेश जी की पूजा व्यापार के खाते बही में वृद्धि की कामना के लिए भी की जाती हैं। गणेश जी वेदव्यास जी के 18 पुराणों के लेखक हैं। व्यापर के बही खाते और लेखा-जोखा की विधि ही आत्मा हैं जो लेखनी द्वारा ही संभव हैं। पुराणों में एक कथा हैं सिद्धि से शुभ और बुद्धि से लाभ नामक दो पुत्र हैं। ये दोनों व्यापार में स्थायित्व लाते हैं इसीलिए व्यापार का श्रीगणेश गणेश पूजन से ही आरम्भ होता हैं।
दीपावली के दिन भगवान गणेश, माँ लक्ष्मी, भगवान् कुबेर, यमराज की पूजा का भी विधान हैं। दीपावली के उत्सव पर दीप के साथ साथ भारत में लोग खूब पटाखे भी बजाते हैं। नई नई मिठाईया बनती हैं। सबकोई ख़ुशी प्रेम से इस दिन की शुभकामनाये एक दूसरे को देते हैं और बहुत ही हर्षोउल्लास से दीपावली का यह त्यौहार प्रेम, शांति, सुख की भावना के साथ मानते हैं।
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