यूँ तो भारत शूरवीरो का देश हैं लेकिन आज हम उन चुनिंदा योद्धाओ की बात करेंगे जो अदम्य शक्ति के स्वामी थे। जिनकी शक्तियों का कोई जवाब नहीं था। हमें अपने गद्दारो न हरा दिया नहीं तो भारत आज भी विश्व गुरु होता इन्ही शूरवीरो को दम पर। आइये आज बलशाली राजाओ के बारे में जानते हैं:-
1- मेड़ता चित्तौड़ राज के राजा जयमाल मेड़तिया एक ही झटके में हाथी का सर काट देते थे। 1567 में तीसरे चित्तौड़गढ़ युद्ध में 8000 राजपूतो को लेकर 60000 मुग़ल सैनिक से युद्ध किया था और वीरगति को प्राप्त हुवे थे।
2- करौली के जादोन राजा अपने सिंघासन पर बैठते वक़्त अपना दोनों हाथ जिन्दा शेरो पर रखते थे।
3- जोधपुर नरेश यशवंत सिंह के 12 वर्षीय पुत्र पृथ्वी सिंह ने औरंगजेब के सामने बंद पिजड़े में भरी सभा में अपने हाथो से शेर का जबड़ा फाड़ दिया था।
4- महा शूरवीर राणा सांगा के शरीर पर कुल 80 चोटों के निशान हैं। अपने जीवनकाल उन्होंने कुल 100 युद्ध लड़े। इतने ज्यादा युद्ध लड़ने के कारण उनका एक हाथ नहीं था एक पैर नहीं था एक आँख नहीं थी।
5- वीर झुंझार सिंह एक ऐसे राजपूत थे जिनका युद्ध में सर कट गया फिर भी वो लड़ते रहे। आज भी बाड़मेर में उनका सर रखा हुआ हैं।
6- रायमलोत कल्ला का सर युद्ध में कटने के बाद धड़ लड़ता लड़ता रानी के पास पहुँच गया था रानी ने उस पर गंगा जल डाला तब शरीर शांत पड़ा फिर रानी ने उसी शरीर के साथ अपने आप को सती कर लिया।
7- चित्तौड़ युद्ध में जयमाल राठौड़ के पैर में चोट लगने से वह वह कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़ रहे थे यह रूप देख कर सैनिको को भगवान् चतुर्भुज का स्मरण आ गया दोनों ने दुश्मन सैनिको में इतना कत्लेआम मचाया की दुश्मनो में खलबली मच गई दोनों योद्धाओ के सर काटने के बाद घंटो युद्ध चलता रहा और दुश्मनो का धड़ कटता रहा। इनके युद्ध कौशल से खुश होकर अकबर ने आगरा किला में इनकी मुर्तिया बनवाई।
8- महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था कवच का वजन 80 किलो था तलवार ढाल का वजन मिलाये तो महाराणा प्रताप अपने शरीर पर लगभग 220 किलो का भार युद्ध लड़ते थे और मुस्लिम सैनिको को सब्जियों की तरह काटते थे।
9- राजस्स्थान पाली में ठाकुर खुशाल सिंह अजमेर जा कर एक दुष्ट अंग्रेज का सर काट कर लाये थे और उसका सर अपने किले के बाहर लटकवाया था। आज भी उनकी याद में वहा मेला का आयोजन होता हैं।
10- शिवाजी महाराज से एक फिट लम्बा क्रूर सेनापति खान को एक ही झटके में मार डाला था।
11- सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन सिंह युद्ध में जाने से पहले मोह वश अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई निशानी माँगी तो रानी ने सोचा की राजा युद्ध में मेरे मोह के कारण सही से नहीं लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर पर अपना सर काट के दे दिया था। अपनी पत्नी का कटा शीश गर्दन में लटकाए औरंगजेब की सेना से लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुवे।
12- हल्दी घाटी की युद्ध में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की तरफ से 60000 सैनिक थे फिर भी मेवाड़ की राजपूत सेना अकबर के सेना पर भारी पड़ी थी।
क्रमशः.......
1- मेड़ता चित्तौड़ राज के राजा जयमाल मेड़तिया एक ही झटके में हाथी का सर काट देते थे। 1567 में तीसरे चित्तौड़गढ़ युद्ध में 8000 राजपूतो को लेकर 60000 मुग़ल सैनिक से युद्ध किया था और वीरगति को प्राप्त हुवे थे।
2- करौली के जादोन राजा अपने सिंघासन पर बैठते वक़्त अपना दोनों हाथ जिन्दा शेरो पर रखते थे।
3- जोधपुर नरेश यशवंत सिंह के 12 वर्षीय पुत्र पृथ्वी सिंह ने औरंगजेब के सामने बंद पिजड़े में भरी सभा में अपने हाथो से शेर का जबड़ा फाड़ दिया था।
4- महा शूरवीर राणा सांगा के शरीर पर कुल 80 चोटों के निशान हैं। अपने जीवनकाल उन्होंने कुल 100 युद्ध लड़े। इतने ज्यादा युद्ध लड़ने के कारण उनका एक हाथ नहीं था एक पैर नहीं था एक आँख नहीं थी।
Maharana Sangram Singh (Rana Sanga) |
5- वीर झुंझार सिंह एक ऐसे राजपूत थे जिनका युद्ध में सर कट गया फिर भी वो लड़ते रहे। आज भी बाड़मेर में उनका सर रखा हुआ हैं।
6- रायमलोत कल्ला का सर युद्ध में कटने के बाद धड़ लड़ता लड़ता रानी के पास पहुँच गया था रानी ने उस पर गंगा जल डाला तब शरीर शांत पड़ा फिर रानी ने उसी शरीर के साथ अपने आप को सती कर लिया।
7- चित्तौड़ युद्ध में जयमाल राठौड़ के पैर में चोट लगने से वह वह कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़ रहे थे यह रूप देख कर सैनिको को भगवान् चतुर्भुज का स्मरण आ गया दोनों ने दुश्मन सैनिको में इतना कत्लेआम मचाया की दुश्मनो में खलबली मच गई दोनों योद्धाओ के सर काटने के बाद घंटो युद्ध चलता रहा और दुश्मनो का धड़ कटता रहा। इनके युद्ध कौशल से खुश होकर अकबर ने आगरा किला में इनकी मुर्तिया बनवाई।
8- महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था कवच का वजन 80 किलो था तलवार ढाल का वजन मिलाये तो महाराणा प्रताप अपने शरीर पर लगभग 220 किलो का भार युद्ध लड़ते थे और मुस्लिम सैनिको को सब्जियों की तरह काटते थे।
Maharana Pratap |
9- राजस्स्थान पाली में ठाकुर खुशाल सिंह अजमेर जा कर एक दुष्ट अंग्रेज का सर काट कर लाये थे और उसका सर अपने किले के बाहर लटकवाया था। आज भी उनकी याद में वहा मेला का आयोजन होता हैं।
10- शिवाजी महाराज से एक फिट लम्बा क्रूर सेनापति खान को एक ही झटके में मार डाला था।
11- सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन सिंह युद्ध में जाने से पहले मोह वश अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई निशानी माँगी तो रानी ने सोचा की राजा युद्ध में मेरे मोह के कारण सही से नहीं लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर पर अपना सर काट के दे दिया था। अपनी पत्नी का कटा शीश गर्दन में लटकाए औरंगजेब की सेना से लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुवे।
12- हल्दी घाटी की युद्ध में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की तरफ से 60000 सैनिक थे फिर भी मेवाड़ की राजपूत सेना अकबर के सेना पर भारी पड़ी थी।
क्रमशः.......
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