विश्व के कई विद्वानों और बुद्धिजीवियों का यह मानना है की यदि पुरे विश्व में सबसे ज्यादा किसी देश के इतिहास और परपम्पराओ को ठेस पहुंचाया गया है तो वह भारत की इतिहास हैं भारत की परंपरा हैं। इन्ही विद्वानों में से एक महान इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था " पुरे विश्व में सबसे ज्यादा छेड़ छाड़ भारत के इतिहास के साथ किया गया हैं।
आज कल के मॉडर्न इतिहासकार भौतिक साक्ष्यों को ही प्रमाण मान कर उसका इतिहास लिखते है और उसको इतिहास मानते है लेकिन जब करोडो साल के इतिहास की विवेचना करनी हो तो भौतिक साक्ष्य की सम्भावना सिमित हो जाती हैं। भारत या पुरे विश्व का इतिहास महज ५हजार सालो में सिमटने का प्रयास किया गया हैं लेकिन भारत में समय समय पर करोड़ो सालो का इतिहास पुराणों के माध्यम से रामायण, महाभारत के माध्यम से महान ऋषि मुनियो द्वारा संस्कृत में लिखा गया हैं।
पुरे विश्व के सबसे पुराना ज्ञान स्रोत वेद में भी कई जगह इतिहास झलकता हैं। भारत का इतिहास महज कुछ हजार सालो का नहीं यह समय चक्र से भी परे हैं कई सृष्टि को उपन्न करती हैं फिर उनका विनास होता हैं फिर निर्माण होता हैं। यह समय चक्र हैं जिसका बहुत विधिवत रूप से हमारे वेदो में वर्णन हैं। परन्तु आजकल कथित इतिहासकार अपने स्वार्थ हेतु वैदिक कैलेंडर को वैदिक इतिहास को कोरी कल्पना बताया हैं। श्री राम को कभी काल्पनिक तो कभी महज कुछ हजार सालो का भी बताते हैं।
आज कल के मॉडर्न इतिहासकार भौतिक साक्ष्यों को ही प्रमाण मान कर उसका इतिहास लिखते है और उसको इतिहास मानते है लेकिन जब करोडो साल के इतिहास की विवेचना करनी हो तो भौतिक साक्ष्य की सम्भावना सिमित हो जाती हैं। भारत या पुरे विश्व का इतिहास महज ५हजार सालो में सिमटने का प्रयास किया गया हैं लेकिन भारत में समय समय पर करोड़ो सालो का इतिहास पुराणों के माध्यम से रामायण, महाभारत के माध्यम से महान ऋषि मुनियो द्वारा संस्कृत में लिखा गया हैं।
वैदिक भारत |
पुरे विश्व के सबसे पुराना ज्ञान स्रोत वेद में भी कई जगह इतिहास झलकता हैं। भारत का इतिहास महज कुछ हजार सालो का नहीं यह समय चक्र से भी परे हैं कई सृष्टि को उपन्न करती हैं फिर उनका विनास होता हैं फिर निर्माण होता हैं। यह समय चक्र हैं जिसका बहुत विधिवत रूप से हमारे वेदो में वर्णन हैं। परन्तु आजकल कथित इतिहासकार अपने स्वार्थ हेतु वैदिक कैलेंडर को वैदिक इतिहास को कोरी कल्पना बताया हैं। श्री राम को कभी काल्पनिक तो कभी महज कुछ हजार सालो का भी बताते हैं।
वैदिक कैलेंडर द्वारा भारतीय इतिहास :
आज के विद्वान् प्राचीन काल के इतिहास का भौतिक साक्ष्य नहीं मिलने के कारण उनको मिथ्यालोजी बना कर शांत हो जाते हैं। अंग्रेजो ने भारत की प्राचीन ज्ञान जैसे रामायण, पुराण, महाभारत आदि को इसी श्रेणी में डाल मात्र कल्पित बना दिया। जबकि अनेक भारतीय विद्वानों का मत है की अग्रेजो को संस्कृत का उतना उच्चस्तरीय ज्ञान नहीं था की वो ग्रंथो में लिखित संस्कृत का सही अर्थ लगा पाए। और अंग्रेज पुराण रामायण या महाभारत के सही अर्थो को समझ नहीं पाए और बिना जाँच किए ही ग्रन्थशास्त्र और इतिहास को मिथ्यालोजी बना दिया। यह कार्य किसी षड्यंत्र जैसा ही हैं।
भारतीय इतिहास या कैलेंडर की शुरुआत वर्तमान सृष्टि के नर्माण के पहले सूर्योदय से होता हैं। लगभग 200 करोड़ वर्ष का हमारा इतिहास हैं। ब्रह्मा जी द्वारा हमेशा सृष्टि का निर्माण होता हैं और शिव जी द्वारा प्रलय किया जाता हैं सृष्टि के निर्माण और प्रलय से भी ऊपर ब्रह्मा का भी निर्माण और अंत होता हैं। वैदिक कैलेंडर के हिसाब से वर्तमान सृष्टि लगभग 1अरब 16 करोड़ 8 लाख 53 हजार 115 वर्ष इस ब्रह्मा को सृजित हुवे हो चुके हैं। सृष्टि निर्माण के बाद पृथ्वी पर समय को चार युगो में बाटा गया हैं सृष्टि निर्माण के बाद सतयुग से काल गणना प्रारम्भ होती हैं जो आगे त्रेतायुग, द्वापरयुग और अंत में कलयुग पर एक महायुग का अंत होता हैं।
सतयुग :-
कलयुग के काल से 4 गुणा लम्बा काल वाले इस युग में सर्वप्रथम भारत में ही मनुष्य सभ्यता का विकास हुआ और पुरे विश्व पे फैला। सत पुरुषो के इस युग में सभ्यता अपने स्वर्णिम काल में थी सही मायनो में प्रकृति को बिना नुक्सान पहुँचाये सुख और समृद्धि से कैसे जीवन को जिया जा सकता हैं इसी युग ने मानव जाती को सबसे पहले सिखाया 172800(17लाख अठाइस हजार ) वर्ष सतयुग का उम्र हैं। श्री विष्णु के दस अवतारों में से पहले ४ अवतार- मत्स्य,कूर्म,वराह तहा नरसिंह अवतार भी इसी युग में हुवे हैं। इस युग में चार में से चार हिस्से सत्य को समर्पित है मलेच्छ और राक्षस नामात्र के थे। इस युग के बाद त्रेतायुग की शुरुआत होती हैं। जो कलयुग से 3 गुना बड़ा काल वाला युग हैं।
त्रेतायुग :-
त्रेतायुग का काल कलयुग के काल से 3 गुना लम्बा होता हैं। त्रेतायुग में कुल 12,96,000(12लाख 96हजार) वर्ष होते है। त्रेता युग में वामन अवतार,परशुराम अवतार तथा मर्यादा पुषोत्तम श्री राम का भी अवतार हुआ था। त्रेता युग में चार हिस्सों में से एक हिस्सा पाप तो तीन हिस्सा सत्य का होता हैं। इस युग को श्री राम के युग के भी नाम से जाना जाता हैं जिन्होंने रावण जैसे अत्याचारी राक्षस का वध किया। इसी युग में महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। इस युग के अंत के बाद द्वापरयुग की शुरुआत हुई।
श्री राम रामायण |
द्वापरयुग :-
द्वापर युग का काल कलयुग के काल से दो गुना लम्बा काल हैं। द्वापर की आयु 8,64,000(8लाख चौषठ हजार) वर्ष हैं। द्वापरयुग में श्री विष्णु ने अपने 10 अवतार में से 8 वा और 9वा अवतार श्री कृष्ण और श्री बलराम के रूप में इसी युग में लिए थे। द्वापर युग में दो हिस्सा पाप तो दो हिस्सा पुण्य का था। महाभारत युद्ध जो की कौरव और पांडवो में लगा गया था इसी युग में लड़ा गया था जिसमे पुरे विश्व के महारथी भागिदार बने थे। महाभारत जैसे विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ के रचनाकार वेद व्यास भी इसी युग में हुवे थे। द्वापर युग के अंत के बाद कलयुग की शुरुआत होती हैं।
श्री कृष्ण महाभारत |
कलयुग :-
चारो युगो में सबसे छोटा काल कलयुग का ही हैं। कलयुग का उम्र 4,32,000(4लाख 32हजार ) वर्ष हैं। यह अभी कलयुग का प्रथम चरण चल रहा हैं। यह कलियुगाब्द 5118वा वर्ष चल रहा हैं हैं अर्थात द्वापर युग ख़त्म हुवे अभी 5118 वर्ष हो चुके हैं अभी कलयुग का उम्र लगभग 4 लाख 26 हजार वर्ष बचा हैं। भविष्य पुराण में श्री विष्णु के दसवाँ तथा अंतिम अवतार कल्कि अवतार कलयुग में एक ब्राह्मण के घर में होगा। कलयुग में पाप की बढ़ोतरी रहेगी जैसा की अभी से ही दिखना शुरू हो गया हैं बेईमानो का बोल बाला रहेगा। चार हिस्सों में से तीन हिस्सा पाप तो पुण्य मात्र एक हिस्सा रहेगा।
हमारे पुराणों,रामायण, महाभारत आदि ग्रंथो में हमारा लाखो करोडो वर्षो का गौरवशाली इतिहास साफ़ साफ़ दीखता हैं जो अब धीरे धीरे विज्ञानं की कसौटियों पर भी खरे उतर रहे हैं। वही आज के समय में हम 2019 में ही अटक गए हैं। भारत के इतिहास को मोहनजोदड़ो से शुरू कर के वही ख़त्म कर दिया जाता हैं।
प्राप्त भौतिक साक्ष्यों के आधार पर भी वैज्ञानिको ने भारत में सबसे पहली सभ्यता का खोज किया है जो मिश्र यूनान से भी हजारो साल पुराना हैं।
मॉडर्न इतिहासकारो द्वारा भारतीय इतिहास :-
मॉडर्न इतिहास कारो के द्वारा भारतीय इतिहास का प्रारम्भ सिंधु घाटी संभ्यता से होती हैं। इसे हड़प्पा की सभ्यता या सारस्वत सभ्यता के नाम से भी पुकारा या लिखा जाता हैं। शोधो से ज्ञात होता वर्तमान सिंधु नदी के तट पर 3200 BC में एक विशाल सभ्यता का जन्म हुआ था जो की कई शहरो की शृंखला थी। जिसके प्रमुख शहर मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, हड़प्पा,लोथल आदि थे।
sindhu ghaati sabhyata |
शुरुआत में इस सभ्यता का विकास पंजाब, राजस्थान, गुजरात, सिन्ध आदि बताया गया अब हाल के खोजो में इस सभ्यता का विस्तार भारत के दक्षिण में केरल, तमिलनाडु फिर पकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान तक बताया जाता हैं तथा इसकी काल गणना 7000 BC भी बताई जा रही हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता की लिपि को अभी तक जान बुझ कर शोध में रुकावट डाली जा रही हैं।
यदि मॉडर्न इतिहासकारो की ही माने तो भारत ने ही सबसे पहले दुनिया को सभ्यता और ज्ञान का प्रकाश दिया ह कुछ काल के लिए ही नहीं बल्कि अब तक लाखो साल से विश्व गुरु थे।
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