दसे दशहरा, बीसे दिवाली, छऊवे छठ।

भारत में सावन महीना से ही प्रमुख त्योहारों और उत्सवों का आयोजन शुरू हो जाता हैं। भगवान् भोले नाथ को समर्पित यह सावन महीना शिवभक्तों के लिए बहुत खास होता हैं।  पुरे महीने भर शिव भक्त नदी से जल भर कर सैकड़ो किलोमीटर की पैदल यात्रा कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते है और सुख, शांति, आरोग्य की कामना करते हैं।

सावन के अगले ही महीने भाद्रपद में पितृ पूजन का उत्सव शुरू हो जाता हैं जिसमे हिन्दू अपने मृत पूर्वजो की पिंड दान कर पूजा करते है और उनके आत्मा की शांति की कामना करते हैं।  १५ दिनों तक चलने वाल यह पर्व अपने आप में बहुत ही ख़ास हैं। इस पर्व के बितते ही शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो जाती हैं।


शारदीय नवरात्र :-

नवरात्र के पहले दिन से माँ शक्ति के नव रूपों की पूजा नौ दिनों तक की जाती हैं इस अवसर पर माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा का पूरी श्रद्धा से निर्माण किया जाता हैं और महिसासुर नामक राक्षस के माता दुर्गा के हाथों वध को याद किया जाता हैं। नौ दिनों तक चलने वाल यह पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जाता हैं। महिसासुर का वध करते हुवे शक्ति स्वरुप माँ दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण होता हैं और पुरे नौ दिनों तक शक्ति के नौ रूपों की विधि पूर्वक पूजा होती हैं। महिसासुर का वध करने के कारण माँ दुर्गा को महिषासुरमर्दिनि भी कहा जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने भी रावण वध से पहले त्रेतायुग में शारदीय नवरात्र के नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा की थी और विजय होने का आशीर्वाद प्राप्त किया था। फिर विजयदशमी को रावण का वध किया था।



दशे दशहरा :-

शारदीय नवरात्र के एकम से ठीक दसवे दिन विजयादशमी या दशहरा उत्सव मनाया जाता हैं जिस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने रावण का वध किया था। शारदीय नवरात्र से दसवे दिन पर मनाये जाने के कारण दशे दशहरा कहा जाता हैं। दशहरा कब आ रहा हैं आसानी से इसे याद रखा जा सके साथ ही असत्य पर सत्य की विजय के प्रतिक इस उत्सव को पुरे हर्षो उल्लास के साथ मनाया जा सके।  विजयादशमी के शुभ अवसर पर पुरे भारत में कई जगह विश्व प्रसिद्ध रामलीला का आयोजन  हैं। इस दिन शस्त्र पूजन का भी विशेष महत्व हैं।



बीसे दिवाली :- 

विजयादशीमी जिस दिन मनाई जाती है उसके ठीक बिसवे दिन हिन्दुओ का सबसे प्रमुख पर्व में से एक पर्व दीपावली आता हैं। इसीलिए दीपावली कब है इसका आसानी से पता लग सके इसीलिए 'बीसे दीपावली' कहा जाता हैं। वाल्मी रामायण के अनुसार रावण का वध करने के बाद माता सीता के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने पुष्पक विमान से अयोध्या की वापस यात्रा की थी रास्ते में ै कई जगह रुकने के कारण श्रीलंका से अयोध्या आने में बिस दिन लग गया था। जिस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम अयोध्या पहुँचें थे उस दिन ख़ुशी में पुरे भारत में लोगो ने अपने घरो को गावो को जलती दियो से सजा दिया था। मर्यादा पुषोत्तम श्री राम के घर वापसी की याद में हजारो साल बाद भी भारतीय ठीक उसी दिन अपने घरो और गावो को जलती हुई दियो से सजाते है साथ ही ख़ुशी में हम सब आतिशबाजी भी करते हैं। दीपावली का त्यौहार ज्ञान रूपी अँधेरा को मिटाने की प्रेरणा देता हैं। दीवाली हर साल हमे यह शिक्षा देता हैं की " माना की घना अन्धेरा हैं लेकिन दिया जलाना कहा मना हैं " इसी शिक्षा को लेकर हम किसी भी विषम परिस्थिति में घबराते नहीं हैं और पुरे धैर्य के साथ सफलता प्राप्त करते हैं।  


छऊवे छठ :- 

दीपावली से ठीक 6 दिन बाद छठ नाम का प्रसिद्ध पर्व मनाया जाता हैं।  उत्तर भारत का प्रमुख यह पर्व अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में मनाया जाने लगा हैं। इस पर्व में भगवान् सूर्य की उपासना की जाती हैं। यह एक मात्र ऐसा पर्व हैं जिसमे डूबता हुवे सूरज की भी पूजा इस आशा से की जाती हैं की हे सूर्य देव् आप अपने साथ साथ हमारे तथा हमारे देश के दुःख पीड़ा को लेकर जाए। और अगले दिन सुबह हमारे जीवन में सुख समृद्धि और शांति भरने का कष्ट करे। सूर्य देव के डूबने से पहले ही सभी भक्त किसी नदी किनारे इकठ्ठा हो कर सूर्य के डूबने तक सूर्य की उपासना करते हैं फिर अगली सुबह सूर्योदय से पहले ही नदी किनारे आ कर सूर्य के उगने का इन्तजार करते है और सूर्य भगवान से प्रार्थना करते हैं की हमारा जीवन भी अपने प्रकाश से प्रकाशित कीजिये। 



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