svg

दशहरा या विजया दशमी पूजा इतिहास और पूजन विधि

भारत उत्सवों और त्योहारों की भूमि हैं। पुरे विश्व में सबसे ज्यादा और सबसे सांस्कृतिक, सामाजिक उत्सव भारत में ही मनाया जाता हैं जिनमे आपसी भाईचारा, प्रेम और शांति का सन्देश छिपा रहता हैं। भारतीय विचारधारा के अनुसार यह जीवन ही एक उत्सव हैं इसीलिए अपने जीवनकाल के प्रत्येक दिवस को उत्सव की भाति मनाना चाहिए और शायद यही विचारधारा का देन हैं की भारत में महीना बीतता नहीं है की कोई ना कोई बड़ा उत्सव आ ही जाता हैं। भारत के लोग अपने गौरवशाली इतिहास को इन उत्सवों द्वारा याद करते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं।

श्री राम
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम 

ऐसे ही कई बड़े उत्स्वों में से दशहरा एक ऐसा उत्सव हैं जिसे पुरे भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता हैं।असत्य पर सत्य की विजय के रूप में इस पर्व को हजारो सालो से भारत में मनाया जा रहा  हैं। शारदीय नवरात्र के अगले दिन दशमी को मनाया जाने वाला यह पर्व धार्मिक रूप से और पूजन की द्रिष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।

दशहरा पूजा का इतिहास :- 

शारदीय नवरात्र के अगले दिन दशमी को विजयादशमी या दशहरा पूजा के नाम से मनाया जाता हैं। जैसा की ‘दशहरा’ नाम से ही पता चल रहा हैं की दश + हारा यानी की जो दश सरो वाला दशानन जिसका नाम रावण था उसकी हार अर्थात पराजय हुई। रावण जो एक बहुत ही क्रूर और निर्दयी राक्षस था, जिसने शंकर जी की पूजा कर कठिन तपस्या कर कई शक्तियों का स्वामी बन गया था और उसे हराना किसी भी मनुष्य जाती के लिए असंभव था, वह रावण इसी दिन भगवान् श्री राम के कारण युद्ध में हार कर मृत्यु को प्राप्त हुआ था। त्रेतायुग में रावण के पिता ब्राह्मण तो माता राक्षसी कुल की थी। वर्ण विशेष इस युग में रावण ने अपने माता का राक्षसी धर्म को आत्मसात किया था इसीलिए रावण ब्राह्मण नहीं राक्षस था। सबसे क्रूर राक्षस रावण के पराजय के दिन को दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाया जाता हैं। 

रावण को मारने के लिए भगवान् को लेना पड़ा था अवतार :- 

यह विधि का विधान हैं जो होना ही हैं विधि निर्णयकर्ता या निर्माणकर्ता भी अपने द्वारा बनाए विधि नियमो को नहीं तोड़ता हैं और यह विश्वास ही उसके सर्वशक्तिशाली होने का प्रमाण हैं। विधि का विधान यह हैं की जब जब पाप बढ़ेगा धर्म की स्थापना करने के लिए वह विधि का निर्माणकर्ता पृथ्वी पर मनुष्य रूप में अवतार लेगा और साधूजनो के प्राण की रक्षा करेगा । त्रेतायुग में अपने भक्ति की शक्ति से रावण ने शिवजी को प्रसन्न कर लिया था, तथा अमृतत्व को प्राप्त कर चूका था, जिसे वह अपने नाभि में रखता था। शिव जी द्वारा मिले अनेक वरदान की वजह से रावण अहंकारी हो गया था। वह अपने आप को सर्व शक्तिशाली होने का भ्रम पाल लिया था। उसके अत्याचार से पूरा आर्यव्रत की जनता, साधू-मुनी आदि सभी प्राणी त्रस्त थे। धर्म  स्थापना के लिए अधर्म का पर्यावाची बन चुके रावण के अत्याचार से प्राणियों की रक्षा करने के लिए श्री विष्णु ने इक्षवाकु वंस में राजा दशरथ के पुत्र रूप में अवतार लिया और शारदीय नवरात्र  के अगले दिन दशमी को रावण के नाभि में बाड़ो की वर्षा कर रावण का वध किया और धर्म की पुनः स्थापना की। 


राक्षसराज रावण  





श्री राम ने 9 दिनों तक की थी माँ दुर्गा की पूजा :- 


रावण वध से पहले शारदीय नवरात्र के पुरे नौ दिनों तक शक्ति तथा माँ दुर्गा के नव रूपों की पूजा की थी। माँ दुर्गा ने प्रसन्न हो कर श्री राम को युद्ध में विजय होने का आशीर्वाद दिया था। फिर अगली सुबह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने रावण का वध किया और पुरे मानव जाती को अनेक राक्षसों से मुक्ति दिलाई।

पुरे भारत के कोने कोने में लगता हैं मेला :-

विजयादशमी या दशहरा के मौके पर पुरे भारत में हर जगह मेला लगता हैं। मेला में रावण का बहुत बड़ी और आकर्षित मूर्ति बनाई  हैं। फिर राम का धारण किए कोई व्यक्ति अपने तीन से उस रावण  मूर्ति में आग लगाता है और रावण  मूर्ति जल उठती हैं।  भारत के इस पर्व पर असत्य पर सत्य की जीत के रूप में याद रखने के लिए  मनाई जाती हैं। पूरा भारतीय समाज इस दिन को रावण दहन के रूप में मनाया जाता है  हर्षोउल्लास से इस पर पर्व मनाया जाता हैं। 

रावण शिवजी का बहुत बड़ा भक्त था:-

कहा जाता हैं की रावण जैसा बड़ा भक्त शिव जी का कोई नहीं था। शिव जी उसके ऊपर प्रसन्न हो कर उसको कई शक्तियों और शस्त्रों का वरदान दिया था रावण इन्ही शक्तियों का उपयोग अधर्म कार्यो में करता था।  जिससे पूरी मानव जाती त्रस्त थी। कर्म के फल तो मिलते है इन फलो को प्राप्त करने से कोई शक्ति या शस्त्र भी नहीं रोक सकती। रावण ने कठिन तपस्या करके शिव जी  प्रसन्न किया और फल के रूप में वरदान प्राप्त किया और लोगो पर अत्याचार करके अपने विनाश का भी फल प्राप्त किया। कर्म ही पूजा हैं। जैसी करनी वैसी भरनी कोई नहीं बचा सकता खुद भोलेनाथ भी नहीं।  

पुरे भारत में होता हैं रामलीला का आयोजन :-

विजयदशमी के शुभ अवसर पर अपने आराध्य श्री राम के विजय कार्य को याद रखने के लिए पुरे भारत में हजारो जगह रामलीला का आयोजन होता हैं। रामलीला में कलाकाल रामायण के पात्रो का रूप धारण कर के श्री राम के जीवन को नाट्य कला के द्वारा दर्शको को दिखाया जाता हैं।  भारतीय लोग भी रामलीला को आज भी पुरे उत्साहपूर्वक देखते हैं। बनारस के पास रामनगर में होने वाला रामलीला पुरे भारत में बहुत प्रसिद्ध हैं इस रामलीला को देखने के लिए सिर्फ भारत के ही नहीं पुरे विश्व के कोने कोने से लोग आते हैं।

दशहरा पूजन विधि:-

दशहरा के अवसर पर सनातन काल से ही शस्त्र पूजा का नियम है। यह उत्सव युद्ध में विजय के रूप में भी जाना जाता है पहले के राजा महराजा अपने युद्ध में जाने के लिए इसी दिन अपने शस्त्रों का पूजन कर युद्ध के लिए यात्रा की शुरुआत करते थे।

dushhara-vijyadashmi-shriraam-kill-ravan-ramayan-mata-sita-ayodhya narendra modi

Leave a reply

Join Us
  • Facebook38.5K
  • X Network32.1K
  • Behance56.2K
  • Instagram18.9K

Advertisement

Loading Next Post...
Follow
Sidebar svgSearch svgTrending
Popular Now svg
Scroll to Top
Loading

Signing-in 3 seconds...

Signing-up 3 seconds...